जैसी होगी कंपनियों की जरूरत, वैसी होगी स्टूडेंट्स की पढ़ाई
- इंजीनियरिंग के सिलेबस को और रिच किया जाएगा, आईओटी, एआई व मशीन लर्निंग जैसे सब्जेक्ट ऐड होंगे
-सीएसजेएम यूनिवर्सिटी ने शुरू की एकेडमिक्स और कंपनियों के वर्क के बीच के गैप को भरने की कवायद - 200 टीचर्स को नए टॉपिक्स के हिसाब से दी जा रही ट्रेनिंग - 15 दिनों तक ट्रेनिंग में इन टापिक्स को आसान तरीकों से पढ़ाना सिखाया जा रहाKANPUR: सालों की पढ़ाई और बड़ी-बड़ी डिग्रियों के बावजूद कई बार कंपनियों को उनकी जरूरत के हिसाब से इम्पलाई नहीं मिलते हैं। जॉब देने के बाद कंपनियों को उन्हें नए सिरे से तैयार करना पड़ता है। एकेडमिक्स और कंपनियों के वर्क के बीच की इस खाई को पाटने के लिए सीएसजेएम यूनिवर्सिटी ने कदम बढ़ा दिए हैं। फिलहाल इसकी शुरुआत इंजीनियरिंग के क्षेत्र से की जा रही है। बीटेक के कोर्स में इंटरनेट ऑफ ¨थग्स 'आईओटी', आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस 'एआई', मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यू¨टग और क्लाउड कंप्यू¨टग जैसे टॉपिक जोड़कर अब एकेडमिक व इंडस्ट्री के बीच के इस फासले को कम किया जा रहा है। एल्गोरिदम, नेटवर्किंग और नई टेक्नोलॉजी से जुड़े इन टॉपिक को पढ़ाने से पहले टीचर्स को इसके लिए तैयार किया जा रहा है।
टीचर्स किए जा रहे तैयारसीएसजेएम यूनिवर्सिटी ने नए सेशन से पहले इसकी पहल करते हुए टीचर्स के लिए डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया है। टीचर प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के अलग-अलग इंजीनिय¨रग कॉलेज के दो सौ टीचर्स को इन नए टॉपिक से परिचित कराने व उन्हें पढ़ाने के आसान तरीके सिखाए जा रहे हैं। टीचर्स को ट्रेनिंग का यह सिलसिला क्भ् दिन तक चलेगा।
वर्चुअल रिएलिटी जैसे सब्जेक्ट इंजीनिय¨रग सिलेबस की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ ¨थग्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अलावा रोबोटिक्स, रेडियो ¨प्र¨टग व वर्चुअल रिएलिटी जैसे सब्जेक्ट को उसका हिस्सा बनाया गया है। इन सब्जेक्ट को लेकर सीएसजेएमयू इन दिनों आईआईटी, एनआईटी और प्रदेश के नामी गिरामी इंजीनिय¨रग कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसरों के लेक्चर करा रहा है। सेशन ख्0ख्क्-ख्ख् से होगा लागूसीएसजेएमयू के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनिय¨रग एंड टेक्नोलॉजी ने भी अपने सिलेबस में बदलाव किया है जिसे सेशन ख्0ख्क्-ख्ख् से लागू किया जाएगा। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम समन्वयक व इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। रशि अग्रवाल ने बताया कि बीटेक और एमटेक की क्लासेस लेने वाले टीचर्स को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा रहा है। इंजीनिय¨रग के सिलेबस में जोड़े गए तकनीकी कोर्स पढ़ाने के लिए उन्हें ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं जिससे यह कोर्स पढ़ाना उनके लिए आसान हो जाएगा। इसके लिए सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स और आईआईटी प्रोफेसर्स की मदद ली जा रही है।