जारी है जिंदगी का संघर्ष
-हाईवे पर भूसे की तरह ट्रकों में भरकर जा रहे लोग, पैदल भी जारी पलायन, ट्रकवाले वसूल रहे मनमाना किया
-प्रवासियों ने कहा कि कम पढ़े-लिखे होने कारण ऑनलाइन टिकट नहीं बुक कर सकते, प्रशासन से नहीं मिली मददKANPUR: औरेया में सैटरडे सुबह सड़क हादसे में 24 लोगों ने जान गवां दी। मध्यप्रदेश के छतरपुर में सड़क हादसे में पांच लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए खोमोश हो गई। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर एक दंपति काल के गाल में समां गए। ये फेहरिस्त काफी लंबी है, इसके अलावा बीते दो दिनों में आधा दर्जन से ज्यादा एक्सीडेंट में कई लोगों की जान गई और कई घायल होकर जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे हैं। लॉकडाउन में काम-धंधा छूटने के बाद भूखे मरने की नौबत आने पर ये लोग अपने घरों की ओर जा रहे थे। उन्हें क्या पता था कि काल उनका पीछा कर रहा है। अभी भी लाखों लोग हाईवे पर पैदल घर की ओर बढ़े चले जा रहे हैं। ऐसे में बीच में कोई ट्रक, ट्रेलर, डीसीएम मिल गया तो उस पर चढ़ने की होड़ मच जाती है। आलू-प्याज से भी बदतर हालत में ट्रकों में घुसकर बैठ जाते हैं। इसमें महिलाओं और छोटे बच्चे भी हैं। जिस हालात में लोग सफर कर रहे हैं उन्हें भी पक्का यकीन नहीं कि घर पहुंच ही जाएंगे। लेकिन, इसके सिवा उनके पास कोई रास्ता भी नहीं है। सैटरडे को कानपुर के हर हाईवे पर इस तरह की झकझोर देने वाली तस्वीरें ि1दखाई दीं।
भले जान चली जाए हाईवे पर जो लोग पैदल जा रहे हैं। उनसे जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने सवाल किया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए और बोले कि कोरोना से पहले भूख उन्हें मार डालेगी, इसलिए अब तय कर लिया है कि घर पहुंचना है, चाहे जान चली जाए। रामादेवी फ्लाई ओवर में सैकड़ों की भीड़ उमडी़ थी। वहीं दूसरी ओर वहां से गुजरने वाले ट्रक व डीसीएम समेत हैवी व्हीकल्स में प्रवासी भूसे की तरह भरे हुए थे। जहां इस भीषण गर्मी में आम आदमी का सांस लेना भी मुश्किल है। इस मजबूरी का फायदा भी ट्र्क वाले उठा रहे। एक-एक व्यक्ति से 5 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। मददगार खिला रहे खानाहाइवे से डेली हजारों की संख्या में गुजर रहे प्रवासियों की मदद के लिए मददगारों के हाथ बढ़े हैं। फ्लाईओवर पर डेली लंच पैकेट, पानी के पाउच व फल वितरण करते है। कुछ दिनों से काफी गर्मी होने की वजह से अब कुछ एनजीओ ने फ्लाई ओवर के किनारे की टेंट लगा लिया है। जहां से वह पलायन करने वाले लोग कुछ देर छांव में बैठ सके।