पानी के बाद जिंदगी से जंग
-बाढ़ में घर डूबने से राहत कैम्प्स में पहुंचाए गए परिवारों के सामने कई चुनौतियां
-स्वंयसेवी संस्थाओं के खाना लेकर पहुंचते ही टूट पड़ते हैं भूख से व्याकुल बच्चेKanpur: पहले हमकोनहीं भइया पहले हमको दे दोभइया हमको भीबहुत भूख लगी हैये शब्द उन बच्चों के मुंह से लगातार निकल रहे थे, जिन्हें बाढ़ के कारण अपने घर छोड़कर राहत कैंप में रहना पड़ रहा है। घर पानी में डूब गया, खाने के लिए दो वक्त की रोटी और पीने के लिए पानी दिखते ही ये सब इसी तरह 'टूट' पड़ते हैं। अपने मां-बाप के साथ राहत शिविर पहुंचे बच्चों की हालत बयां कर रही है कि 'पानी' के बाद अब इन्हें अपनी फैमिली के साथ 'जिंदगी से जंग' लड़नी पड़ रही है। संडे को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने महाराजपुर, बिठूर, बिल्हौर, घाटमपुर समेत एक दर्जन से ज्यादा बाढ़ पीडि़त एरियाज के पीडि़तों के लिए बने 'राहत शिविरों' की हालत देखी तो स्थिति 'दिल झकझोर' देने वाली दिखी।
कपड़े तक रह गए घर मेंपहले बारिश देर से हुई लेकिन जब हुई तो हजारों लोगों पर अपना ऐसा 'कहर' बरपाया कि वो जिंदगी जीने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने करीब आधा दर्जन बाढ़ पीडि़त शिविरों के 'अंदर' और 'बाहर' का नजारा देखा। हालत ये है कि समाजसेवी संगठनों की ओर से जैसे ही लंच पैकेट या खाने का सामान बांटा जाता है। वैसे ही वहां 'गदर' मच जाती है। हालत ये है कि कई सैकड़ों घरों के पानी में डूब जाने की वजह से पीडि़तों के पास पहनने को कपड़े तक नहीं हैं। कैसी 'जिंदगी' वो जीने को मजबूर हैं इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। गुजैनी निवासी प्रखर, नन्हे, प्रहलाद, राजू समेत एक दर्जन लोगों ने बताया कि बाढ़ से पूरा घर पानी में डूब गया। जान बचाकर राहत कैंप तो पहुंच गए लेकिन कपड़े तक नहीं ला पाए। कुछ ऐसी ही हालत मायापुरम्, वरुण विहार, टिकरा और चौबेपुर के बाढ़ पीडि़तों ने बयां की।
----------------------------- कानपुर में बाढ़ एक नजर में 30- राहत शिविर बनाए गए हैं पीडि़तों के लिए 62000- लोग शहर में बाढ़ से हैं प्रभावित 37- बाढ़ चौकियां बनाई गई कानपुर जिले में 108- गांव बाढ़ से सबसे ज्यादा हैं प्रभावित 5785- लोग राहत शिविरों में ठहरे हैं अभी तक 12000- लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया 1- शख्स की मौत, 3 घायल बाढ़ की वजह से 948- कच्चे मकान और 555 झोपडि़यां टूटी बाढ़ से274- छोटे व बढ़े पशुओं की मौत बाढ़ के दौरान
179- पक्के मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं बाढ़ से 48- नावें लगाई गई बाढ़ से राहत कार्य के लिए यहां सबसे ज्यादा असर- गुजैनी, सचेंडी, मेहरबान सिंह का पुरवा, टिकरा, रौतेपुर, पनकी, पतरसा, रविदासपुरम, मायापुरम,वरूण विहार, महाराजपुर, चौबेपुर।