शहर के चौराहों और गलियों में घूमने वाले हजारों की संख्या में खूंखार आवारा कुत्ते लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं. आप पैदल जा रहे हों बाइक से हों या फिर कार में बैठे हों इनसे बचना बेहद मुश्किल है.

कानपुर(ब्यूरो)। शहर के चौराहों और गलियों में घूमने वाले हजारों की संख्या में खूंखार आवारा कुत्ते लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। आप पैदल जा रहे हों, बाइक से हों या फिर कार में बैठे हों, इनसे बचना बेहद मुश्किल है। बाजारों, पार्कों से लेकर हर जगह इनका आतंक है। कभी तो यह काटकर हमला कर घायल कर देते हैं तो कई बार दौड़ाने पर इनकी दहशत से लोग गाड़ी लेकर गिर जाते हैं या किसी दूसरे वाहन से टकरा जाते हैं। पार्कों में खेलते कूदते बच्चों का ये अपन शिकार बना लेते हैं। घायलों को एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने पर हेल्थ डिपार्टमेंट को हर साल लगभग डेढ़ करोड़ खर्च करने पड़ते हैं। डेली लगभग 450 लोग इन कुत्तों का शिकार बनते हैं।
डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ पर खर्च
उर्सला अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने के लिए इमरजेंसी ब्लाक में ओपीडी चलती है। जहां एक मेडिकल अफसर और दो फार्मासिस्ट तैनात हैं। यहां शहर के अलावा उन्नाव के शुक्लागंज क्षेत्र से कुत्ते के हमले के शिकार बच्चे-बुजुर्ग, युवा, महिला और पुरुष भी आते हैं। इसके अलावा बिरहाना रोड स्थित केपीएम और कांशीराम चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर में संडे छोडक़र छह दिन एआरवी लगाई जाती है।
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एक माह में 3900 वायल
उर्सला में महीने में 1600 वायल एआरवी लगती हैं। रोजाना 260 पीडि़त आते हैं। बिरहाना रोड स्थित केपीएम हास्पिटल में महीने 700 वायल की खपत है। रोजाना 120 पीडि़त आते हैं। इसी तरह रामादेवी स्थित कांशीराम चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर में महीने में 400 वायल की खपत है, यहां रोजाना 60 पीडि़त आते हैं। वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 1200 वायल एआरवी की खपत है। सीएचसी कल्याणपुर व घाटमपुर में 200 वायल और बिधून, सरसौल, भीतरगांव, बिल्हौर, चौबेपुर, शिवराजपुर, ककवन व पतारा सीएचसी में हर माह 100 वायल एआरवी की खपत है।


अस्पताल-पीडि़त-एआरवी की खपत
उर्सला : 260 -260
केपीएम : 120- 120
कांशीराम :60- 60

एंटी रैबीज इंजेक्शन का खर्च
- 132,720 पीडि़त शहरी क्षेत्र के सालभर में आते (एक पीडि़त को चार डोज लगती)
- 57600 पीडि़त ग्रामीण क्षेत्र में साल भर में हैं आते (एक पीडि़त को चार डोज लगती)
- 32,400 वायल एआरवी की साल भर में शहरी क्षेत्र में खपत
- 14,400 वायल एआरवी की साल भर में ग्रामीण क्षेत्र में खपत
- 46,800 वायल एआरवी की जिले में वार्षिक खपत
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कुत्ते की वजह से करोड़ों खर्च
- 268 रुपये एआरवी के एक वायल की कीमत
- 1,25,42,400 रुपये एआरवी पर वार्षिक खर्च
- 22,83,840 रुपये सीङ्क्षरज खरीदने का खर्च
- 1,48,26,240 रुपये का कुल खर्च एआरवी व सीङ्क्षरज पर
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कुत्तों के हमले व काटने के घायलों को रैबीज के संक्रमण से बचाने के लिए एआरवी लगाने में हर साल लगभग डेढ़ करोड़ रुपये खर्च होते हैं। पीडि़तों को एआरवी लगाने वाले डाक्टर से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ के वेतन पर अतिरिक्त खर्च होता है।
डा। आलोक रंजन, सीएमओ, कानपुर नगर

Posted By: Inextlive