सीटेट का पेपर आउट करने वाले शातिर एसटीएफ के शिकंजे में
- सीटेट का पेपर आउट करने वाले शातिर एसटीएफ के शिकंजे में, रामादेवी सब्जी मंडी के पास पकड़े गए
-प्रयागराज से आउट हुआ था पेपर, 25 हजार लेकर वाट्सएप पर स्टूडेंट को भेजे जा रहे थे क्वेश्चन और आंसर KANPUR : शहर समेत यूपी में संडे को हुए सेंट्रल टीचर एलिजबिलटी टेस्ट (सीटेट) का पेपर देने वाले लाखों स्टूडेंट्स की टेंशन बढ़ गई है। क्योंकि क्वेश्चन पेपर परीक्षा से पहले ही आउट हो गया था। इसकी पुष्टि कानपुर में पकड़े गए दो शातिरों से हो गई है। दोनों को एसटीएफ की कानपुर यूनिट ने पकड़ा था। उनके पास से दो पन्ने, मोबाइल और कैश बरामद हुआ था। पन्नों में पेपर में आने वाले सवाल और उनके जवाब थे। एसटीएफ ने दोनों से पूछताछ की तो दोनों ने पेपर आउट कर उसे बेचने का जुर्म कबूल कर लिया। लखनऊ से िमली थी लीडएसटीएफ कानपुर यूनिट को लखनऊ से लीड मिली थी कि कुछ लोग सीटेट का पेपर आउट करने की साजिश कर रहे है। एसटीएफ ने अपने मददगारों को सक्रिय किया तो पता चला कि चकेरी सब्जी मंडी के पास दो शातिरों के पास पेपर है। दोनों वाट्सएप के जरिए पेपर को स्टूडेंट को भेज रहे हैं। एसटीएफ ने घेराबंदी कर दोनों को हिरासत में ले लिया। दोनों की पहचान जालौन के धीरज द्विवेदी और चंद्रपाल उर्फ जीतू के रूप में हुई। दोनों ने पूछताछ में बताया कि प्रयागराज निवासी आलोक सेंगर और प्रिंस ने पेपर आउट किया है। उनका आलोक से पांच लाख रुपये में सौदा तय हुआ था।
पेपर खरीदकर बेच रहे थे एसटीएफ के धनश्याम यादव ने बताया कि धीरज और चंद्रपाल तो गैंग की एक कड़ी हैं। धीरज ने 25-25 हजार रुपये में अन्य स्टूडेंट से पेपर बेचने का सौदा किया था। उनका सौदा पांच लाख रुपये में तय हुआ था, लेकिन धीरज ने उसको सिर्फ 87 हजार रुपये ही दिए थे। इसलिए आलोक ने उसको सिर्फ 5 सवाल बताए थे। अन्य सवालों के लिए वे लोग उसको फोन पे के जरिए पैसे भेजने वाले थे। उससे पहले ही एसटीएफ ने उनको दबोच लिया।