बीमा दावा लेने के लिए इतने साल की लंबी लड़ाई, जानें ज्वैलरी का क्या है मामला
कानपुर(ब्यूरो)। लूटे गए जेवर का बीमा दावा लेने के लिए ज्वैलर्स ने 18 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ज्वैसर्ल के पक्ष में फैसला सुनाया था। बीमा कंपनी ने इसके खिलाफ राज्य आयोग में अपील दाखिल की, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। आयोग के आदेश पर बीमा दावा के साथ ब्याज समेत देने का आदेश दिया। आरसी जारी होने पर बीमा कंपनी ने 18 लाख रुपये का चेक ज्वैलर्स को दे दिया है।
2005 में दाखिल किया था वाद
आरएस ज्वैलर्स बिरहना रोड के पार्टनर राजीव कुमार अग्रवाल निवासी स्वरूप नगर ने दि ओरियटंल इंश्योरेंस कंपनी कानपुर के डिवीजन मैनेजर के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम (अब आयोग) में वर्ष 2005 में वाद दाखिल किया था। इसमें कहा था कि उन्होंने लूट और दुर्घटना की क्षतिपूर्ति के लिए 41757 रुपये का प्रीमियम देकर 21 सितंबर 2000 को पॉलिसी ली थी। इसके तहत किसी प्रकार की क्षति पर पांच लाख रुपये का बीमा था। बीमित अवधि में कर्मचारी दीपक व प्रभात स्कूटर से 1920.21 ग्राम के आठ लाख 68 हजार 500 के जेवरात लेकर 15 अक्टूबर 2000 को पालिस कराने जा रहे थे। तभी लक्ष्मण बाग नवाबगंज में जेवरात लूट लिए गए।
15 अक्टूबर 2000 को दर्ज हुआ था केस
इसकी रिपोर्ट 15 अक्टूबर 2000 को दर्ज कराई गई थी। 27 अगस्त 2007 को आयोग ने बीमित धनराशि पांच लाख रुपये परिवाद दाखिल करने की तारीख 22 जून 2005 से 10 प्रतिशत ब्याज समेत देने का आदेश दिया था। दो हजार रुपये वाद व्यय भी देने के लिए कहा था। अधिवक्ता अम्ब्रीश टंडन ने बताया कि बीमा कंपनी ने इस आदेश के खिलाफ राज्य आयोग में अपील की। वहां से भी बीमा दावा ब्याज समेत देने का आदेश दिया गया। न देने पर तहसील के माध्यम से आरसी जारी की गई। अब बीमा कंपनी ने 13 लाख दो हजार रुपये का चेक ज्वैलर्स के पक्ष में जारी कर दिया है।