केडीए इम्प्लाइज की मनमानी के कारण ऑनलाइन मैप पास किए जाने के सिस्टम का पूरा फायदा कानपुराइट्स को नहीं मिल रहा है. महीनों तक किसी न किसी बहाने अप्लीकेशन लटकाए रहते हैं. बावजूद इसके मैप पास कम फेल व पेडिंग अधिक रहती हैं. इससे कानपुराइट्स का ही नहीं शहर का भी नक्शा बिगड़ता जा रहा है. हर महीनों सैकड़ों की संख्या में अवैध निर्माण भी हो रहे हैं. ये हम नहीं कह रहे हैं. केडीए की एक रिपोर्ट खुद मैप पास कराने में हो रही मनमानी की पोल खोल रही है.

कानपुर (ब्यूरो) सिटी में बढ़ते अवैध निर्माणों और मैप पास कराने में लोगों को होने वाली परेशानी से बचाने के लिए शासन ने करीब 5 साल पहले ऑनलाइन सिस्टम लागू किया था। इसके लिए यूपीओबीपीएस.इन पोर्टल लांच किया था। जिसके जरिए केडीए या अन्य संबंधित डेवलपमेंट अथॉरिटी से मैप पास कराया जा सकता है। हर महीने ऑनलाइन पोर्टल के जरिए सैकड़ों लोग अपने प्लॉट पर रेजीडेंशियल व कॉमर्शियल बिल्डिंग, अपार्टमेंट आदि बनाने के लिए अप्लाई करते हैं।

कॉमार्शियल, ग्र्रुप हाउसिंग में फेल ज्यादा
केडीए की दिसंबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक करंट फाइनेंशियल ईयर में 195 रेजीडेंशियल मैप अप्लीकेशन (ग्र्रुप हाउसिंग व लेआाउट) पेंडिंग हैं। इनमें से 167 अप्लीकेशन ऐसी हैं जिनको एक से तीन माह तक हो चुके हैं। टोटल 557 अप्लीकेशन में 200 के ही मैप पास हुए। वहीं कागजात पूरे न होने आदि कमियां बता कर 162 अप्लीकेशन निरस्त कर दी गई। हालांकि इस मामले में रेजीडेंशियल से आगे कॉमर्शियल मैप के मामले हैं। कॉमर्शियल बिल्डिंग बनाने के लिए अप्लाई की 388 में से 170 अप्लीकेशन निरस्त कर दी गई। केवल 114 कामार्शियल बिल्डिंग के मैप पास हो सके, जबकि 104 अप्लीकेशन पेंडिंग हैं। इनमें से एक से तीन माह के बीच की 86 अप्लीकेशन शामिल हैं। वहीं ग्र्रुप हाउसिंग (अपार्टमेंट)के मामले में हाल और भी ज्यादा खराब है। दिसंबर,2022 तक ग्र्रुप हाउसिंग मैप के 15 में से केवल 2 के नक्शे पास हुए, जबकि 12 फेल हुए। जबकि लेआउट (प्लाट्स वाली कालोनी) की 13 में से 3 के मैप पास हुए और 10 की पेडेंसी बनी हुई है।

बीते फाइनेंशियल इयर से लटके
मैप पास किए जाने को लेकर हो रही मनमानी का सिलसिला केवल इसी फाइनेंशियल ईयर का नहीं है। फाइनेंशियल ईयर यानि 2021-22 बीतने के बावजूद भी नक्शा पास कराने की 300 से अधिक अप्लीकेशन पेंडिंग रही थी। इनमें रेजीडेंशियल, ग्र्रुप हाउसिंग, ग्र्रुप हाउसिंग व लेआउट आदि शामिल हैं।
बढ़ते जा रहे अवैध निर्माण
मैप पास कराने में कानपुराइ्टस को केडीए के चक्कर लगाने के साथ जेबें भी हल्की करनी पड़ती है। शायद इसी वजह से सिटी में हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में और अवैध निर्माण हो जाते हैं। केवल केडीए की रिपोर्ट की ही मानें तो करंट फाइनेंशियल ईयर में 476 अवैध निर्माण चिंहित किए जा चुके हैं। जबकि इससे पहले 31 मार्च 2022 तक चिंहित अवैध निर्माणों की संख्या 13975 थी।

रेजीडेंशियल मैप
टोटल अप्लीकेशन-- 557
पास हुए मैप (परमिट जारी)-- 200
निरस्त अप्लीकेशन--162
पेंडिंग अप्लीकेशन-- 195
1 से 3 माह तक लंबित अप्लीकेशन- 167
1 माह से कम लंबित अप्लीकेशन- 28

कॉमर्शियल मैप
टोटल अप्लीकेशन--388
मैप हुए पास-- 114
निरस्त अप्लीकेशन-- 170
पेंडिंग अप्लीकेशन-- 104
1 से 3 माह तक पेंडिंग अप्लीकेशन-- 86
1 माह से कम पेंडिंग अप्लीकेशन- 18

ग्र्रुप हाउसिंग मैप
टोटल अप्लीकेशन-- 15
पास हुए मैप- 02
निरस्त अप्लीकेशन-- 12
पेंडिंग अप्लीकेशन- 01
1 से 3 माह तक पेंडिंग अप्लीकेशन- 00
1 माह से कम पेंडिंग अप्लीकेशन- 01

लेआउट
टोटल अप्लीकेशन-- 13
पास हुए मैप- 03
निरस्त अप्लीकेशन-- 00
पेंडिंग अप्लीकेशन-- 10
1 से 3 माह तक पेंडिंग अप्लीकेशन- 9
1 माह से कम पेंडिंगअप्लीकेशन- 01

31 मार्च,2022 तक पेंडिंग थी मैप अप्लीकेशन
रेजीडेंशियल-- 223
कॉमर्शियल-- 100
ग्र्रुप हाउसिंग-- 003
लेआउट-- 005

अवैध निर्माणों का हाल
चिंहित अवैध निर्माण-- 476
कम्पाउंडिंग कराई गई-- 27
ध्वस्त किए गए -- 82
डेमोलेशन आर्डर जारी हुए--34
(डिटेल वर्ष 2022-23 में दिसंबर तक की है)

31 मार्च,2022 तक का हाल
-13975 अवैध निर्माण चिंहित हुए थे
-2013 अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी

Posted By: Inextlive