साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक दिमाग का कहर, बड़ी संख्या में एडमिट हो रहे पेशेंट
कानपुर (ब्यूरो)। मौसम में बदलाव के चलते सिटी में ब्रेन स्ट्रोक के केस बढ़ गए हैं। हैलट और उर्सला की ओपीडी में ब्रेन स्ट्रोक और साइलेंट ब्रेन स्ट्रोक के मामले लगातार सामने आ रहे हंै। एक्सपर्ट का कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक दिमाग की नसों में क्लॉटिंग होने या ब्लीडिंग होने के कारण होता है। दिमाग के सेल्स तक आक्सीजन न पहुंच पाने के कारण इससे ब्रेन डैमेज होता है। ब्रेन स्ट्रोक होने से पहले बॉडी में कुछ चेंजेस होने लगते हैं, जिन्हें इग्नोर करना खतरनाक साबित होता है। अगर किसी को ब्रेन स्ट्रोक हो तो शुरुआती चार घंटे बहुत इंपॉर्टेंट होते हैं। पेशेंट को मेडिसिन देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।
इमरजेंसी में डेली 6 से 8 पेशेंट
हैलट के मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रो। एसके गौतम के मुताबिक, अचानक मौसम में बदलाव होने की वजह से ब्रेन स्ट्रोक के पेशेंट की संख्या बड़ी है। इमरजेंसी में डेली 6 से 8 पेशेंट गंभीर हालत में एडमिट किए जा रहे हैं। वहीं ओपीडी में डेली एक दर्जन से अधिक पेशेंट हाई बीपी व ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण लेकर आ रहे हैं। जिनकी जांच कर ट्रीटमेंट किया जा रहा है। वहीं उर्सला की बात करें तो डेली तीन से चार पेशेंट ब्रेन स्ट्रोक के पेशेंट एडमिट हो रहे हैं। वहीं प्राइवेट में भी डेली बड़ी संख्या में ब्रेन स्ट्रोक के पेशेंट एडमिट हो रहे हैं।
शुरुआती चार घंटे अहम
एक्सपर्ट के मुताबिक, ब्रेन स्ट्रोक के पेशेंट के लिए शुरुआत के चार घंटे अहम होते हैं। पेशेंट को निर्धारित समय पर मेडिसिन देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। स्ट्रोक के पेशेंट के दिमांग में खून का थक्का जम जाता है। इससे सही वक्त पर ट्रीटमेंट न मिलने पर शरीर का कोई न कोई अंग पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है। ऐसे में लोगों को चाहिए कि स्ट्रोक के लक्षण लगने पर तत्काल न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह लें। इसलिए होता है ब्रेन स्ट्रोक
खराब स्लीपिंग शेड्यूल
ब्रेन स्ट्रोक का एक कारण खराब स्लीपिंग शेड्यूल भी है। आप कब सो रहे है, कब उठ रहे है और कितनी घंटे की नींद ले रहे है। इसका सीधा प्रभा सहेत पर पड़ता है। लिहाजा इसको बेहतर करने की जरूरत है1 शरीर में पोषक तत्वों की कमी
एक्सपर्ट के मुताबिक वर्तमान में भागदौड़ भरे जीवन में लोग फास्ट फूड का अधिक सेवन करते है। जिससे कॉलेस्ट्रोल बढ़ जाता है। जोकि स्ट्रोक आने की आशंका को बढ़ा देता है।
तनाव लेना
आफिस वर्क हो या फिर घरेलू प्राब्लम, किसी को नौकरी पानी तो किसी को समय से पहले अधिक से अधिक पैसा कमाने की टेंशन है। यह तनाव भरी जिंदगी की कहीं न कहीं ब्रेन स्ट्रोक के बढ़़ते केस का कारण बन रहा है। यहीं कारण है कि अब युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक की समस्या देखने को मिल रही है।