सीवर का पानी सीधे गंगा में गिरने से अफसरों की सिरदर्दी बढ़ती जा रही है. बारिश में भी बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड बीओडी बढऩा और घुलित आक्सीजन डीओ घटना इस बात की तरफ इशारा करती है कि इंडस्ट्रियों के सीवरों का दूषित पानी अब भी सीधे गंगा में गिर रहा है. ऐसे में बारिश खत्म होने पर गंगा का जलस्तर कम होगा तो पॉल्यूशन बढऩे का खतरा बढ़ेगा.

कानपुर (ब्यूरो) गंगा जल की गुणवत्ता परखने के लिए बिठूर, गंगा बैराज और शेखपुर में उपकरण लगाए गए हैं। गंगा का जल जब बिठूर में एंट्री करता है तो घुलित आक्सीजन (डीओ) ज्यादा होती है लेकिन जब जाजमऊ से बाहर निकलता है तो कम हो जाती है। इसी तरह बीओडी कानपुर में प्रवेश करने पर कम जबकि बाहर निकलते समय ज्यादा होती है। डीबीएस कालेज के बाटनी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित तिवारी बताते हैं कि सीवर का पानी, इंडस्ट्री से कचरा, मरे जानवर या अन्य अपशिष्ट डाले जाते हैं। जिससे घुलित आक्सीजन को अपनी ओर खींचते हैं। इससे बीओडी बढऩे लगती है और इसका सीधा असर जीव जंतुओं पर होता है।

इस वजह से बढ़ रही बीओडी
वहीं, यूपीपीसीबी के रीजनल ऑफिसर अमित मिश्र ने कहा कि गंगाजल की नियमित सैंपङ्क्षलग कराकर निगरानी कराई जा रही है। इसके लिए गंगा को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसमें जिस क्षेत्र में पॉल्यूशन बढ़ा मिलता है तो वहां उद्योगों और जलकल व अन्य विभागों से संपर्क कर वस्तुस्थिति बताई जाती है। अभी जलस्तर बढ़ा है तो उसके साथ ही काफी गंदगी बहकर आ रही है, इसी वजह से बीओडी बढ़ रही है।

सैंपल स्थल डीओ बीओडी
बिठूर 6.8 4.2 गंगा बैराज 6.6 4.4
शेखपुर (जाजमऊ) 6.5 4.8
मानक- डीओ-3 मिलीग्राम प्रतिलीटर
बीओडी-5 मिलीग्रीम प्रतिलीटर

Posted By: Inextlive