कमिश्नरेट की आधा दर्जन पुलिस टीमें आरपीएफ जीआरपी एक लोकल एजेंसी दो स्टेट एजेंसियां और एक सेंट्रल एजेंसी. इन सभी एजेंसियों को मिलाकर 200 से ज्यादा लोगों की टीम. 500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज. 50 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ.

कानपुर (ब्यूरो)कमिश्नरेट की आधा दर्जन पुलिस टीमें, आरपीएफ, जीआरपी, एक लोकल एजेंसी, दो स्टेट एजेंसियां और एक सेंट्रल एजेंसी। इन सभी एजेंसियों को मिलाकर 200 से ज्यादा लोगों की टीम। 500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज। 50 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ। संडे से संडे तक 8 दिन का समय। कमिश्नरेट के अधिकारियों के साथ लखनऊ तक के अधिकारी और एफएसएल की टीमें घंटों तक घटनास्थल को बारीकी से खंगालने के बाद वापस चली गईं। लेकिन कालिंदी एक्सप्रेस ट्रेन हादसे के बारे में अब तक कोई ठोस सफलता हाथ नहीं लगी है जिससे जांच की दिशा आगे बढ़ सके। इसलिए अब प्लानर की तलाश शुरू की गई है। फतेहपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, लखनऊ, हमीरपुर और बांदा जिलों में पुराने प्लानर्स की कुंडली और उनकी प्रेजेंस खंगालना शुरू कर दिया है।

बीटीएस से भी नहीं मिली हेल्प
घटना के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंची कानपुर कमिश्नरेट की टीम ने डाटा डंप किया था। जिसमें 500 से ज्यादा मोबाइल नंबर थे। जब इन मोबाइल नंबर्स की स्टडी की गई। इन नंबरों को फिल्टर किया गया। तो कोई दो दर्जन वे नंबर सामने आए जो आस पास के लोगों के रहने वालों के थे और ये लोग 8 सितंबर को रेलवे ट्रैक के पास थे। इनमें से 26 लोगों से पूछताछ करने के बाद इन्हें क्लीन चिट दे दी गई है। माना जा रहा है कि स्थानीय होने की वजह से इन लोगों की उपस्थिति घटनास्थल के आस पास थी।

मिलिट्री इंटेलीजेंस से उम्मीद
कोई जानकारी न होने की वजह से अब सुरक्षा एजेंसियों ने मिलिट्री इंटेलीजेंस से हेल्प लेने का डिसीजन किया है। हालांकि खराब मौसम और घटनास्थल रेलवे ट्रैक होने की वजह से इविडेंस मिलना अब बहुत मुश्किल सा लग रहा है लेकिन फिर भी एक बार कोशिश की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो मिलेट्री इंटेलीजेंस टीम देश की सबसे बड़ी टीम है। रेलवे के माध्यम से सेना के बड़े अधिकारियों को शामिल करने की प्लानिंग की गई है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो वेडनसडे को एनआईए की टीम मिलिट्री इंटेलीजेंस के साथ कम्बाइंड प्रैक्टिस कर सकती है।
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कड़ी से कड़ी जोड़कर
धमाका करने में भले ही दहशतगर्द नाकाम हो गए हों, इसके बाद भी एजेंसियां या पुलिस इनकी तह तक पहुंचने में कोई कसर नही छोड़ रही हैैं। ईस्ट जोन के होटल, छिबरामऊ स्वीट हाउस से मिले फुटेज, टोल प्लाजा के फुटेज और मुजफ्फरनगर के बस स्टॉप से मिले फुटेज की कड़ी से कड़ी जोड़कर प्लानर्स तक पहुंचने के प्रयास किए जा रहे हैैं। कानपुर में पुराने समय में तैनात, इस तरह के पुराने मामलों में काम करने वालों की तलाश कर ली गई है। इनके साथ बैठक कर पुराने प्लानर्स की जानकारी ली जाएगी, जिसके बाद इस 'डेड इवेेंटÓ में प्राण फूंकने की कोशिश की जाएगी।


जितनी हो रही देर उतनी ही गहराई में जा रहा मामला
शहर लंबे समय तक तैनात रहे पुलिसकर्मियों की मानें तो इस मामले में जितनी देर लग रही है, उतनी ही गहराई में ये मामले जा रहे हैैं। दरअसल इस तरह की पुरानी घटनाओं में पुलिस और एजेंसियों को बहुत कम सफलता मिली है। फेस्टिवल सीजन के ठीक पहले इस तरह की घटना को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया गया है। सेंट्रल और कमिश्नरेट की लोकल एजेंसियां घनी आबादी वाली बस्तियों में सुरागरसी कर रही हैैं। माना जा रहा है कि लगातार कई साजिशें फेल होने के बाद दहशतगर्द फुल प्रूफ प्लानिंग कर सकते हैैं। सोशल मीडिया पर भी पैनी नजर रखी जा रही है।

Posted By: Inextlive