आतंकी साजिश और ट्रेन में बम विस्फोट के मामले में एनआईए कोर्ट से मौत की सजा पाए खुरासान मॉड्यूल के सरगना मोहम्मद गौस खान और सैफुल्लाह ने क्षेत्र के युवाओं को अपने साथ जोडऩे के लिए कई तरीके अपनाए थे. इनमें धार्मिक तकरीरों के बीच जाकर लोगों को जिहाद के प्रति उकसाने से लेकर केबल कनेक्शन को भी जरिया बनाया था. ये लोगों तक कैसे पहुंचते थे? अपने संदेश कैसे देते थे? बिना मोबाइल के संचार के किस माध्यम को अपनाते थे? 2013 से 2016 तक अपने मंसूबों में कैसे लोगों को शामिल करते थे? इस संबंध में जाजमऊ मनोहर टीला के लोग अब मुंह खोलने लगे हैं.

कानपुर (ब्यूरो) इलाके के एक नेता के माध्यम से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के संपर्क में आए अब्दुल कयूम ने बताया कि जब वे नमाज के बाद तकरीरें करते थे तो सैफुल्लाह और मुहम्मद गौस खान आते थे। इनके साथ कुछ और लोग भी कई बार आए। धार्मिक स्थलों को बदल बदल कर ये लोग जाते थे। युवाओं को नौकरी और रुपये का लालच देते थे। अलग ले जाकर भी युवाओं से बात करते थे। किसी से भी बहुत कम बात करने वाला सैफुल्लाह इलाके के युवाओं से घुला मिला था। ये वही अब्दुल कयूम हैैं, जिनके बयानों को भी कोर्ट ने अपने फैसला सुनाने का आधार बनाया है।

बंटवाता था सीडी
2013 में केबिल कनेक्शन का जोर था। सैफुल्लाह ने अपने घर में केबिल की छतरी लगा रखी थी। जिससे वह मोहल्ले के लोगों को कनेक्शन बांटे था। लाइन ब्रेक होने पर उसे सही करने के लिए जाने के दौरान उसके साथ मोहम्मद आसिफ भी रहता था। मेंटिनेंस के दौरान ही बातचीत में वह लोगों को जिहाद के प्रति उकसाता था। दिमाग में उल्टी सीधी बातें भरता था। साथ ही बिल कलेक्शन करने के दौरान भडक़ाने वाला साहित्य और सीडी भी बांटता था। एनआईए ने 2017 में एनकाउंटर के बाद घर से तमाम बरगलाने वाला साहित्य भी बरामद किया था।

पर्चे चिपकाकर प्रचार
पड़ोस में परचून की दुकान किए 70 साल के रिजवान ने बताया कि लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मदरसे की दीवार सबसे मुफीद साधन थी। इस दीवार पर रात के अंधेरे में पर्चे चिपकाए जाते थे। उनकी दुकान में सामान लेने आने वालों के लिए भी पर्चे चिपकाए जाते थे, लेकिन किसी को ये पता नहीं चलता था कि ये पर्चे किसने चिपकाए हैैं? इन पर्चों से सैफुल्लाह और गौस खान का संबंध तब सामने आया, जब एटीएस ने गौस की गिरफ्तारी की। इसके बाद ताड़बगिया निवासी फैसल और दानिश के घर से भी ये पर्चे बरामद भी हुए हैैं। ये दोनों सैफुल्लाह के चचेरे भाई थे, जो लगातार पूरी टीम के संपर्क में थे। केवल जाजमऊ इलाके से छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जब मध्य प्रदेश में ट्रेन में धमाका हुआ था।

देश विरोधी ताकतों से संपर्क
मोहम्मद गौस खान एयरफोर्स में सेकेंड ग्रेड कारपुरल था। बताते चलें कि एयरफोर्स में सेंकेंड ग्रेड कारपुरल तक अधिकारियों की श्रेणी में आते हैैं। नौकरी के दौरान ही इसके संपर्क देश विरोधी ताकतों से हुए थे। वायुसेना की तमाम ड्रिल्स भी गौस खान ही लोगों को सिखाता था। स्थानीय लोगों की मानें तो मोहम्मद गौस ने जानबूझ कर जाजमऊ का घर नार्मल बना रखा था, जिससे दूसरे देशों ने आने वाली मदद उजागर न हो। रायबरेली में गौैस खान की शानदार हवेली बनी हुई थी, जिसे गिरफ्तारी के बाद तहस नहस कर दिया गया। गुरुवार को गौस के छोटे बेटे आदिल की शादी के दौरान पुलिस बल के गांव में मौजूद होने की जानकारी मिली।

चंद कदमों पर चांदमारी
इलाके के बुजर्ग वसीम की दुकान हाईवे किनारे है। वसीम ने बताया कि उनकी दुकान के सामने जम्मू, चंडीगढ़ और दिल्ली के नंबरों की गाडिय़ां आकर रुकती थीं। जिनके साथ गौस खान और ताड़बगिया निवासी सैफुल्लाह के चचेरे भाइयों को जाते देखा था। एनआईए कोर्ट में इस दुकानदार वसीम के बयान दर्ज किए गए थे। वसीम के मुताबिक ये लोग गंगा की तरफ जाते थे। कई बार गाडिय़ों में बैठकर गंगापुल भी पार किया था। गंगा किनारे अक्सर फायरिंग की आवाजें आती थीं। बहुत कम बातचीत होने की वजह से मोहल्ले वाले भी मतलब नहीं रखते थे।

Posted By: Inextlive