सचेंडी पुलिस एक्टिव होती तो न जाती सुबोध की जान
-चुनावी रंजिश में तो नहीं गई सुबोध की जान?
- मामले में कर कदम पर पुलिस की लापरवाही सामने आई, परिजनों ने की सीबीसीआईडी जांच की मांग KANPUR : जेल में छेड़छाड़ के आरोपी सुबोध की मौत के मामले में हर कदम पर पुलिस की लापरवाही सामने आई है। सुबोध के परिजनों ने मामले की सीबीसीआईडी जांच कराने की मांग की है। परिजनों ने कहा कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है। वहीं एसपी ग्रामीण ने बताया कि नामजद कई आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। जिनके खिलाफ साक्ष्य मिलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दोनों पक्षों से थी चुनाव की तैयारीसूत्रों के मुताबिक दलीपपुर सचेंडी की सीट पर बीडीसी चुनाव के लिए सुबोध का चचेरा भाई और लड़की पक्ष से सचिन पाल चुनाव की तैयारी कर रहा था। लेकिन, सीट आरक्षित होने से सुबोध के भाई की चुनौती खत्म हो गई। वहीं सचिन ने तैयारी तेज कर दी थी। युवती के पक्ष का एक और शख्स प्रधानी चुनाव की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक इन्हीं सब वजहों से सुबोध का दूसरे पक्ष से मनमुटाव चल रहा था। इसी के चलते पहले दुष्कर्म व हत्या के प्रयास का केस हुआ फिर उसे पीट-पीटकर मार दिया गया। ऐसे में सवाल है कि क्या सब कुछ चुनावीं रंजिश के चलते पूरी प्लानिंग के साथ तो नहीं किया गया।
गैर इरादतन हत्या में दर्ज पुलिस ने सुबोध को पीटने वालों पर गैर इरादतन हत्या की धारा लगाई थी। जबकि परिजन हत्या में केस दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। मामले में पुलिस ने ख्ख् नामजद आरोपी बनाये हैं। पुलिस ने बोले झूठ पर झूठ एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा था कि जब सुबोध को लाया गया था तो वह बातचीत कर रहा था। चल फिर भी रहा था। मगर जब वीडियो सामने आए तो पुलिस के झूठ से पर्दा उठ गया। वीडियो में साफ है कि सुबोध की आंखें बंद थीं। वह मरणासन्न हालत में था। अब पुलिस अपना दामन बचाने के लिए तरह-तरह की कहानी गढ़ रही है।