चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सीएसए सिटी में रहने वालों को रुद्राक्ष की रियलिटी से वाकिफ कराएगा. दो साल पहले तत्कालीन वाइस चांसलर डॉ. डीआर सिंह ने मेन बिल्ंिडग के सामने 2400 वर्गमीटर एरिया में रुद्राक्ष के 51 पौधे लगाए थे जो अब तेजी से डेवलप होने लगे हैैं. आने वाले कुछ सालों में इसमें फल आने की संभावना है जिससे साबित हो जाएगा कि असली रुद्राक्ष कैसा होता है और वह किस तरह से डेवलप होता है. पेड़ में लगे रुद्राक्ष को देख कर लोग असलियत को जान सकेंगे.

कानपुर (ब्यूरो) वानिकी विशेषज्ञ बताते हैैं कि रुद्राक्ष के पौधे को डेवलप होने के लिए तापमान 35 डिग्री सेल्सियम से ऊपर नहीं चाहिए। इसके लिए नेपाल और काठमांडू का तापमान बेस्ट है। यदि यूपी की बात करें तो यहां के तापमान में पौधा डेवलप तो हो जाता है लेकिन फल आने में समस्या होती है।

मेडिटेशनल है रुद्राक्ष
वैज्ञानिकों का मानना है कि रुद्राक्ष से इलेक्ट्रोमैग्नेटिव पॉवर होती है। इसको धारण करने से दर्द, ब्लड प्रेशर, हार्ट और कोलेस्ट्राल कम करने में मदद मिलती है। इसको भगवान शिव के उपासक भक्ति से जोड़ कर देखते हैैं।
अपने सिटी में ऐसे बोएं रुद्राक्ष का पौधा
अपने सिटी में रुद्राक्ष को के पौधे को रोपने के लिए मिट्टïी में बदलाव करना आवश्यक है। यदि आप इसको बोने की सोच रहे हैैं तो 40 परसेंट परलाइट (एक तरह का केमिकल) और 60 परसेंट कोकोपिट (केमिकल) मिला कर इसको बो सकते हैैं।


रुद्राक्ष को लेकर यह हैैं कंफ्यूजन
- लोगों में धारणा है कि रुद्राक्ष की फैक्ट्री होती है
- इसको लकड़ी या प्लास्टिक से काट कर बनाया जाता है
- यह हिमालय या अन्य पर्वतों में चमत्कारिक रूप से मिलता है
- यह एक पत्थर है, जिसको बाबा लोग सिद्ध करके देते हैैं

रुद्राक्ष का पौधा रोपने के तीन साल बाद उसमें फल आता है। तापमान का घटना बढऩा इसके डेवलपमेंट और फल आने में इंपार्टेंट रोल अदा करता है। सीएसए के रुद्राक्ष गार्डन में लगे पौधे डेलवप हो रहे हैैं।
डॉ। कौशल किशोर, फॉरेस्ट्री साइंटिस्ट, सीएसए

Posted By: Inextlive