शहर में पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए नगर निगम भले ही हर साल पौधों पर करोड़ों रुपए खर्च करता है लेकिन इन पौधे की परवरिश न होने से लाखों पौधे बढऩे से पहले ही दम तोड़ देते हैैं. इससे पर्यावरण तो नहीं सुधरता बल्कि करोड़ों रुपए बर्बाद हो जाते हैैं. एक पौधा लगाने में नगर निगम करीब 129 रुपए खर्च करता है. नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक पिछले पांच सालों में नगर निगम क्षेत्र में कुल 6.56 लाख पौधे रोपे गए जिनमें करीब साढ़े आठ करोड़ रुपए का खर्च आया. इतना सब करने के बाद भी शहर में हरियाली क्षेत्र नहीं बढ़ पाया. कुल मिलाकर शासन के निर्देश पर पौधे लगा दिए जाते हैैं वह पौधे बढ़े या सूख गए इसका हिसाब-किताब नहीं रखा जाता है. जिससे हर साल करोड़ों रुपए बर्बाद हो रहे हैं.

कानपुर (ब्यूरो) नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार फाइनेंशियल इयर 2018-2019 से लेकर 2022-2023 तक कुल 6 लाख 56 हजार 127 पौधे लगाए गए हैं। जिसपर कुल खर्च 8 करोड़ 50 लाख रुपए का आया। इस आंकड़े से एक पौधा रोपने पर 129 रुपए का खर्च होते हैं। इनमें लेबर से लेकर मेनटेनेंस तक सभी चार्ज शामिल हैैं। मेंटीनेंस न होने से इनमें एक अनुमान के मुताबिक लगभग डेढ़ लाख पौधे सूख गए हैं। सीधी बात यह कही जा सकती है कि इन पौधों के रूप में पिछले पांच सालों में नगर निगम के लगभग एक करोड़ 93 लाख रुपए सूख गए। अब सवाल यह है कि जब पौधरोपण खर्च में मेंटीनेंस भी शामिल है तो यह पौधे कैसे सूख गए इस सवाल का जवाब नगर निगम अफसरों के पास नहीं है।

पौधे को मार डालती धूल
एक्सपर्ट के मुताबिक, पौधे भी मनुष्यों और जानवरों की तरह सांस लेते हैं। पौधों के पत्तों में स्टोमेटा नामक पदार्थ होता है, जिससे उन्हें सांस लेने में मदद मिलती है। इसके द्वारा ही पौधों की ग्रोथ होती है और बाद में पेड़ बनते हैं, लेकिन जब पौधे पर जब धूल की परत जम जाती है तो स्टोमेटा पदार्थ के छिद्र बंद हो जाते हैं। इससे वे सांस नहीं ले पाते और पौधा सूख जाता है। अगर मेंटीनेंस के नाम पर सिर्फ पौधों पर पानी का छिड़काव कर दिया जाता तो शायद करोड़ों रुपए बच जाते और शहर हरा-भरा भी दिखता।

ये पौधे लगाए गए
नीबू, सुदर्शन, कैथा, जामुन, गुड़हल, कटहल, लीची, सागौन, चंदन, रुद्राक्ष, गुलाब, बेला, मेहंदी, अमरूद, बेल, आम, आंवला, अर्जुन, कनेर, पारस, पीपल, जामुन, पिलखन, शीशम गोल्ड आदि पौधे शामिल है।

इन जगहों पर सबसे ज्यादा पौधे
- 1.05 लाख विजय नगर ट्रैफिक पार्क
- 01 लाख जाना गांव में लगाए गए पौधे
- 80 हजार रतनलाल शुक्ल कॉलेज के सामने
- 40 हजार सरायमीता इंडस्ट्रीयल एरिया
- 40 हजार सरायमीता गैस प्लांट के पीछे
- 14 हजार जोन-5 ऑफिस के सामने
- 5400 शनेश्वर मंदिर के पास

पौधरोपण: एक नजर में
6.56 लाख पौधे 5 साल में रोपे गए
1.50 लाख से ज्यादा पौधे जीवित नहीं रहे
129 रुपए का खर्च आता है एक पौधा रोपने पर
1.05 लाख पौधे सबसे ज्यादा चिल्र्डेन पार्क में लगे
75 लाख रुपए औसतन हर साल होते है खर्च

कब-कब कितने पौधे लगे
फाइनेंशियल ईयर-पौधों का टारगेट--लगाए पौंधे--खर्च
2018-2019---- 84606-----85, 596-- 50 लाख
2019-2020---1,31,040----1,35,000--50 लाख
2020-2021---1,19,900----1,21,000--3 करोड़
2021-2022--1,43800-----1,44,000--1.50 करोड़
2022-2023--1,67,800----1,70,531---3 करोड़़

'' ग्रीनरी बढ़ाने के लिए हर साल पौधे लगाने का लक्ष्य शासन से दिया जाता है। जिसके बाद टीम विभिन्न जगहों पर पार्क, डिवाइडर, स्कूल, हॉस्पिटल समेत विभिन्न जगहों पर पौधरोपण करती है। कोई पौधा सूखे ने इसके लिए माली से लेकर पानी के छिड़काव को लेकर पूरी व्यवस्था होती है।
वीके सिंह, उद्यान अधीक्षक, नगर निगम

Posted By: Inextlive