दर्द का इलाज कर दवा देने वाले ही दर्द को बढ़ा रहे हैं. नीट पीजी काउंसिलिंग को जल्द कराने की मांग पर जूनियर रेजीडेंट्स का देशव्यापी आंदोलन चल रहा है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट्स भी इसमें शामिल हैं और लगातार 10 दिनों से इमरजेंसी के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. मंडे सुबह को कानपुर की सबसे बड़ी ओपीडी हैलट अस्पताल में खुली तो विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजीडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद करा दिया. मरीज नहीं आने से ओपीडी के कई सीनियर डॉक्टर्स भी उठ कर चले गए. दूर-दराज से आए सैकड़ों पेशेंट्स को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा.

कानपुर (ब्यूरो) एलएलआर अस्पताल की ओपीडी में दिखाने के लिए सुबह 8 बजे से ही पर्चे बनने लगे थे,लेकिन 10 बजे से पहले ही जूनियर रेजीडेंट्स ने ओपीडी का रजिस्ट्रेशन हॉल बंद करा दिया। जिसकी वजह से बाहर सैकड़ों की संख्या में पेशेंट्स लौटने लगे। वहीं कुछ पेेशेंट्स जिनके पर्चे बन गए थे या जो पिछले हफ्ते ओपीडी में दिखा गए थे। उन्हें ओपीडी में डॉक्टर्स ने देखा। ओपीडी में कंसल्टेंट्स के साथ जूनियर रेजीडेंट्स नहीं मिले। कानपुर समेत आसपास के जिलों से आए काफी पेशेंट्स को भी बिना इलाज के लौटना पड़ा।

इनडोर इलाज पर भी संकट
जूनियर रेजीडेंट्स की हड़ताल का असर इलेक्टिव ऑपरेशन पर भी पड़ रहा है। पहले के मुकाबले मंडे को भी बेहद चुनिंदा पेशेंट्स की ही इलेक्टिव सर्जरी हुई। वहीं इनडोर में भी पेशेंट्स को जल्दी डिस्चार्ज किया जा रहा है। मंडे को कैंसर की शिकायत पर जेके कैंसर हॉस्पिटल से इलाज के लिए हैलट भेजे गए संजय तिवारी नाम के बंदी को डिस्चार्ज कर दिया गया। जबकि उसके मुंह में दिक्कत होने की शिकायत तीमारदार लगातार करते रहे। इसी तरह बर्रा की रजनी देवी के परिजनों का भी कहना है कि उनकी मां को पेट में सूजन और लगातार दर्द बने रहने के बाद बावजूद डॉक्टर्स ने कागज पर लिखवा कर डिस्चार्ज कर दिया। दिक्कत बढ़ी तो उन्हें दोबारा हैलट आना पड़ा।

Posted By: Inextlive