- शुल्क प्रतिपूर्ति व स्कॉलरशिप के नाम पर करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने पर शहर के 7 इंजीनियरिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द

- ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही संस्थानों के प्रबंधकों पर एफआईआर दर्ज करवाने के आदेश डीएम को जारी

- सरकारी रकम की रिकवरी के लिए संस्थानों पर कसा जाएगा शिकंजा, हजारों स्टूडेंट्स के भविष्य अंधकार में

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KANPUR : शहर के सात इंजीनियरिंग कॉलेजों को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ ही उनकी मान्यता रद्द कर दी गई है। शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने पर समाज कल्याण निदेशालय ने यह कार्यवाही की है। कानपुर के जिला प्रशासन को इस संबंध में सूचित कर दिया गया है। अब इन संस्थाओं के प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के साथ ही शुल्क प्रतिपूर्ति की रकम भी वसूली जाएगी। हालांकि, शासन के इस फैसले से हजारों स्टूडेंट्स के भविष्य पर भी संकट खड़ा हो गया है।

स्पष्टीकरण न देने पर नपे

यूपी में लंबे समय से इंजीनियरिंग कॉलेज कागजों में फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी खजाने में हर साल करोड़ों की सेंधमारी कर रहे थे। पिछले साल से जब शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई। तब इस घोटाले की पर्ते उधड़ना शुरू हो गई। सघन जांच में कानपुर के सात शिक्षण संस्थानों का नाम सामने आया। निदेशालय समाज कल्याण ने इस संबंध में सभी संस्थानों को नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा। मगर, तयशुदा समय के अंदर इन कॉलेजों ने जवाब दाखिल नहीं किया। जिस कारण इन सबके खिलाफ मान्यता रद्द करने की कार्यवाही की गई है।

ब्लैक लिस्ट कर रद्द की मान्यता

हर साल शासन के करोड़ों रूपए डकारने वाले संस्थानों की मान्यता रद्द करने के साथ ही उन्हें काली सूची में डाल दिया गया है। मतलब, नेक्स्ट एकेडमिक ईयर से यूपीटीयू की काउंसलिंग में इन संस्थानों को शामिल नहीं किया जाएगा। निदेशालय समाज कल्याण के डायरेक्टर जी राम ने इन सभी कॉलेजों की मान्यता रद्द करने का फरमान भी जारी कर दिया है। शासन की इस कार्यवाही से जिला प्रशासन को भी अवगत करा दिया गया है। डीएम डॉ। रोशन जैकब को शासनादेश का अनुपालन करवाने के लिए भी कहा गया है।

एफआईआर भी होगी दर्ज

दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नियमावली में 2014-15 से अनियमिततायें मिलने पर संस्थान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने, ब्लैक लिस्ट करने व मान्यता रद्द करने का प्रावधान है। इसी कड़ी में जिन कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई है। अब उनके प्रबंधकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवाने की तैयारी है। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में इन संस्थाओं ने सरकारी खजाने में जितनी भी सेंधमारी की है। उसकी वसूली के लिए भी जिला प्रशासन व समाज कल्याण विभाग को आदेशित किया गया है। निदेशक जी राम के अनुसार शासकीय धनराशि की वसूली भू-राजस्व की तरह करवाई जाएगी।

हजारों बच्चों का भविष्य संकट में

मान्यता रद्द होने व कॉलेज को काली सूची में डाले जाने से वहां पढ़ने वाले हजारों बच्चों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि अब प्लेसमेंट कम्पनियां भी इन कॉलेजों से किनारा कर लेंगी। इसके अलावा टैलेंटेड और एलिजिबल स्टूडेंट्स भी इस कार्यवाही का बेवजह शिकार होंगे। हालांकि, अब इन संस्थानों के पास न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा है।

इन 7 कॉलेजों की मान्यता हुई रद्द

ø विद्या भवन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी

ø सेठ श्रीनिवास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी

ø सेठ श्रीनिवास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट

ø कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

ø बंशी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट

ø बंशी कॉलेज ऑफ एजुकेशन

ø महाराणा प्रताप डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल

ऐसे पकड़ा गया फर्जीवाड़ा

एकेडमिक सेशन 2013-14 से एनआईसी ने सभी कॉलेजों के लिए एक ऑनलाइन कम्प्यूटराइज्ड प्रोफार्मा सिस्टम लागू किया है। अब इसी के जरिए शैक्षणिक संस्थान शुल्क प्रतिपूर्ति व स्कॉलरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 26 बिंदुओं वाले कम्प्यूटराइज्ड प्रोफार्मा की जब स्क्रूटनी शुरू हुई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पूरे प्रदेश में एकेडमिक सेशन 2013-14 में कुल 1.18 लाख जबकि 2014-15 में कुल 23.84 लाख स्टूडेंट्स के आवेदन फर्जी पाए गए।

यूपी में 51, कानपुर में 7

शुल्क प्रतिपूर्ति व दशमोत्तर छात्रवृत्ति के आवेदन की स्क्रूटनी में यूपी में कुल 51 संस्थान दागी पाए गए हैं। इनमें कुल 15 इंटर कॉलेज, एक आईटीआई, एक पॉलिटेक्निक व शेष डिग्री कॉलेज-यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। इनमें कानपुर के 7 शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं। बताते चलें लास्ट एकेडमिक सेशन के दौरान यह संख्या 22 थी, जिनमें से 10 संस्थानों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जा चुका है।

ऐसे लगाया अरबों का चूना

दरअसल, शासन द्वारा निम्न आय वर्ग वाले परिवारों के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप व शुल्क प्रतिपूर्ति की जाती है। यह रकम 50,000 रुपए तक होती है। इसमें हाईस्कूल-इंटरमीडिएट व इंजीनियरिंग-डिग्री कॉलेज, यूनिवर्सिटीज समेत आईटीआई-पॉलिटेक्निक में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स शामिल होते हैं। स्कॉलरशिप व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए सामान्य, अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग समेत अनुसूचित जाति के स्टूडेंट्स आवेदन करते हैं। इन्हीं बच्चों की आड़ में संस्थान फर्जीवाड़ा करते हैं। इसमें हजारों स्टूडेंट्स को कागजों पर एडमिशन दिला दिया जाता है। जबकि कुछ स्टूडेंट्स ऐसे होते हैं, जो फर्जीवाड़ा करके अलग-अलग संस्थानों में दाखिला लेते हैं। फिर शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर सरकारी पैसा डकार जाते हैं। कुछ बच्चे बीटेक में एडमिशन तो लेते है, लेकिन एक-दो सेमेस्टर बाद संस्थान छोड़ देते हैं। मगर, तब तक उन्हें सरकार से स्कॉलरशिप व फीस का पैसा मिल चुका होता है। कई बार हकीकत में बच्चा होता ही नहीं है, ऐसे मामलों में संस्थान पूरा पैसा हड़प कर जाते है। जबकि कुछ मामलों में यह सारा खेल संस्थान और स्टूडेंट्स की मिलीभगत से अंजाम दिया जाता है।

यूपी के 5 शहर टॉप पर

बच्चों की आड़ में सरकारी खजाने को अरबों की चपत लगाने वालों में सूबे के पांच जिले टॉप पर हैं। कानपुर नगर के अलावा गाजियाबाद, बाराबंकी, बांदा व देवरिया जिलों में भी जबर्दस्त घोटाला हुआ है। घोटाले की पड़ताल के लिए 'विशेष जांच कमेटी' कर रही है। जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद, कौशाम्बी, मिर्जापुर, जौनपुर, जलालपुर, नोएडा जिलों में भी जांच की जा रही है।

अब ऐसे रोकेंगे फर्जीवाड़ा -

- स्टूडेंट्स के सर्टीफिकेट्स की सुरक्षा के लिए सॉफ्टवेयर में डिजिटल लॉकर बनाया जाए।

- डीआईओएस, ज्वाइंट डायरेक्टर, रजिस्ट्रार अपने डिजिटल सिग्नेचर करके सर्टीफिकेट्स को ऑनलाइन अटैस्ट करेंगे।

- 2 लाख की इनकम लिमिट वाले परिवार के बच्चों को ही शुल्क प्रतिपूर्ति व स्कॉलरशिप के लिए एलिजिबल बनाएं।

- 2014-15 में क्लास-9 व क्लास-11 के स्टूडेंट्स का ऑनलाइन डाटा लेकर स्क्रूटनी में यूज करें। जिससे सेशन 2015-16 के दौरान फर्जीवाड़ा न हो सके।

- जो बच्चे ऐसा करने का प्रयास करें, उन्हें भी ब्लैक लिस्ट कर दें, जिससे वह भविष्य में किसी कॉलेज में एडमिशन लेकर पढ़ाई न कर सकें।

31 जुलाई तक करें आवेदन

शुल्क प्रतिपूर्ति व स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर चुके सभी पात्र बच्चों को 31 दिसंबर तक पेमेंट कर दिया जाएगा। मुख्य सचिव ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। वहीं पुराने स्टूडेंट्स को 1जुलाई से 31 जुलाई तक और नये स्टूडेंट्स 30 सितंबर तक शुल्क प्रतिपूर्ति व दशमोत्तर स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। पॉलीटेक्निक व आईटीआई स्टूडेंट्स की एडमिशन प्रक्रिया के मद्देनजर आवेदन की तारीख 31 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।

Posted By: Inextlive