रेलवे ट्रैक को कंक्रीट की दीवार, जाली से किया जा रहा कवर
कानपुर (ब्यूरो)। अंडरकवरयह शब्द पढ़ते ही मन एक इमेज दिमाग में आती है। गुपचुप तरीके से किसी मिशन को अंजाम देना। आपको जानकर हैरानी होगी कि जल्द ही ट्रेन का सफर भी 'अंडरकवरÓ होगा। फर्क सिर्फ इतना होगा कि यह सफर गुपचुप नहीं, बल्कि कड़ी सुरक्षा के बीच होगा। बताते चलें कि प्रयागराज डिवीजन के अंतर्गत आने वाले गाजियाबाद से पं। दीनदयाल उपाध्याय, वाया कानपुर तक के रेल रूट को जालियां और कंक्रीट की दीवार बनाकर कवर किया जाएगा। यह काम सिंतबर तक पूरा हो जाएगा। कैटल रन ओवर 'सीआरओÓ की घटनाओं को रोकने के लिये यह काम किया जा रहा है।
मार्च में टूंडला से गाजियाबाद तक काम पूरा
एनसीआर रीजन के पीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि कैटल रन ओवर 'सीआरओÓ व मैन रन ओवर 'एमआरओÓ की घटनाएं दिल्ली-हावड़ा रूट में आए दिन होती रहती हंै। जिसकी वजह से ट्रेनों की स्पीड प्रभावित होती है। लिहाजा घटनाग्रस्त ट्रेन के साथ उसके पीछे चलने वाली कई ट्रेनों की चाल प्रभावित होती है। इस समस्या को खत्म करने के लिए गाजियाबाद से पं। दीनदयाल उपाध्याय तक वाया कानपुर व प्रयागराज, रेल ट्रैक को लोहे की जाली व कंक्रीट की दीवार बनाकर कवर करने का काम चल रहा है। जिसमें पहला फेज गाजियाबाद से टूंडला तक 251 किमी का ट्रैक कवर करने का काम मार्च यानी इसी महीने में पूरा हो जाएगा।
रेलवे आफिसर्स के मुताबिक, घनी आबादी में एमआरओ व खुले स्थानों यानी की सिटी के आउटर में सीआरओ की घटनाएं आए दिन होती रहती हंै। सीआरओ की घटना में कई बार रेल इंजन भी प्रभावित हो जाता है। इसके अलावा कई बार इंजन से टकराए जानवर का शरीर के अवशेष रेल इंजन में फंस जाते हैं। जिसको निकालने व जानवर को ट्रैक किनारे करने में दो घंटे से अधिक का समय लग जाता है। लिहाजा सीआरओ होने वाली ट्रेन के अलावा आधा दर्जन से अधिक ट्रेनें लेट हो जाती हैं।
30 परसेंट काम हो चुका पूरा
प्रयागराज डिवीजन के पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि कानपुर में कैंट एरिया से चकेरी तक लगभग चार से पांच किमी का एरिया व कानपुर स्टेशन से दिल्ली की तरफ जूही खलवा व गोविंदपुरी स्टेशन में ट्रैक कवर का काम लगभग पूरा हो चुका है। कानपुर परिक्षेत्र में आने वाले हिस्से में लगभग 30 परसेंट ट्रैक कवर का काम पूरा हो चुका है। ट्रैक कवर करने का काम तेजी से चल रहा है। सितंबर 2024 से पहले यह काम पूरा हो जाएगा।
- जूही यार्ड
- दादानगर
- गुजैनी
- झींझक
- रूरा
- इटावा
- टूंडला
- अलीगढ़ यह होगा फायदा
- ट्रेनों को रफ्तार मिलेगी।
-आवारा जानवरों से होने वाले हादसे रुकेंगे।
- ट्रेन डिरेलमेंट होने का खतरा नहीं होगा।
- ट्रेन निर्धारित स्पीड में चल सकेंगी।
- अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगेगा।
- वंदेभारत जैसी ट्रेनों में पथराव की घटनाओं से निजात मिलेगी। सीआरओ की घटनाओं को रोक ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए गाजियाबाद से डीडीयू तक ट्रैक को लोहे की जाली व कंक्रीट की दीवार बनाकर कवर किया जा रहा है। जिसका काम इस वर्ष सितंबर में पूरा हो जाएगा। वहीं गाजियाबाद से टूंडला तक रेल ट्रैक को कवर करने का काम इसी माह पूरा हो जाएगा।
हिमांशु बडोनी, डीआरएम, प्रयागराज डिवीजन