फेस्टिवल सीजन में एक्स्ट्रा बसों के नाम पर रोडवेज डिपार्टमेंट ने त्योहार की खुशियों को मातम में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. दरअसल उन बसों को भी सडक़ों पर उतार दिया है. जो डिपो में बेकार खड़ी थी. जर्जर बसें कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है. यह बात जानते हुए भी रोडवेज के अधिकारी अपनी वाहवाही लूटने के लिए जर्जर बसों को पैसेंजर्स ढोने के लिए लगा दिया है


कानपुर(ब्यूरो)। फेस्टिवल सीजन में एक्स्ट्रा बसों के नाम पर रोडवेज डिपार्टमेंट ने त्योहार की खुशियों को मातम में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दरअसल उन बसों को भी सडक़ों पर उतार दिया है। जो डिपो में बेकार खड़ी थी। जर्जर बसें कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। यह बात जानते हुए भी रोडवेज के अधिकारी अपनी वाहवाही लूटने के लिए जर्जर बसों को पैसेंजर्स ढोने के लिए लगा दिया है। संडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने झकरकटी बस अड्डे में खड़ी कई बसों का रियलिटी चेक किया तो सामने आए तथ्य काफी चौंकानें वाले थे। फर्श में लगी चद्दर कई जगह उखड़ी थी


झकरकटी बस अड्डे के एग्जिट गेट के पास खड़ी बांदा रूट की बस के अंदर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने रियलिटी चेक किया। बस के अंदर फर्श पर लगी चद्दर कई स्थानों पर उखड़ी पड़ी थी। एक स्थान पर तो एक तीन से चार इंच बड़ा का पूरा होल था। जिससे बस के अंदर से बस के नीचे की सडक़ तक दिखाई दे रही थी। इसके साथ ही इंजन के पास फर्श में लगी चद्दर बुरी तरह उखड़ी पड़ी थी। ठंड के लिए नहीं तैयार

अक्टूबर में हुई बिन सावन बरसात ने मौसम में एकदम बदल कर रख दिया है। यहीं कारण है कि इस बार समय से पहले ठंड का मौसम आ गया है। मौसम विभाग ने भी नवंबर के फस्र्ट वीक में दोपहर में सर्दी का एहसास होने की आशंका जताई है। इसके बावजूद रोडवेज अभी भी गहरी नींद में है। बसों के टूटे शीशे अभी तक नहीं बदले गए। हर दूसरी बस के फ्रंट शीशे का वाइपर की गायब था। इन स्थिति में ठंड के मौसम में ड्राइवर को बस चलाने में काफी समस्या फेस करनी पड़ती है। बस चलाओ नहीं तो घर निकल जाओ डीजे आईनेक्स्ट की टीम ने कई रोडवेज बस के ड्राइवर्स से बस के मेंटीनेंस को लेकर बात भी की। ड्राइवर्स ने नाम न छापने पर भरोसा दिलाने पर बताया कि रोडवेज के 99 परसेंट ड्राइवर संविदा में है। बस के मेंटीनेंस पर अधिक सवार उठाने पर डिपो के फोरमैन एक बात ही कहते है। बस चलाना होता चलाओ नहीं तो सीधा घर जाओ, इस स्थिति में ड्राइवर को अपनी जान जोखिम में डालकर बस को रूट में ले जाना पड़ता है। -------------------यह मिली खामियां - फ्रंट शीशे पर वाइपर ही नहीं थे - बैक व फ्रेंट शीशे टूटे पड़े थे - इंडीकेटर लाइट भी टूटी पड़ी थी

- बस के अंदर की फर्श की चद्दर उखड़ी पड़ी थी- गंदगी व बस की सीट फटी हुई थी - बांदा रूट की एक बस की पिछली सीट की गायब थी - अग्निशमन यंत्र नदारद मिले

आंकड़े - 1000 बसों का डेली आवागमन - 40 हजार से अधिक पैसेंजर्स का आवागमन डेली- 80 एसी बसों का डेली आवागमन - 30 एसी बसें कानपुर रीजन की --------------कोट बसों के मेंटीनेंस को लेकर अधिक ध्यान दिया जाता है। अदर डिपो की बस हो सकती है। मामले की जानकारी कर संंबंधित अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाकर उसको सही कराने का आदेश दिया जाएगा। लव कुमार, आरएम, रोडवेज कानपुर रीजन

Posted By: Inextlive