प्राइवेट अस्पतालों को कैश से प्यार, क्लेम से इंकार
- मेडीक्लेम पॉलिसी होने के बाद भी कैश पेमेंट करने पर जोर दे रहे प्राइवेट कोविड हॉस्पिटल्स
- मेडीक्लेम पॉलिसी लेने वाले कोरोना संक्रमितों की बढ़ी परेशानी, इरडा तक पहुंची शिकायतKANPUR: शहर में कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही अब 22 प्राइवेट अस्पतालों में कोविड ट्रीटमेंट की सुविधा मिल रही है। इसमें शहर के कई नामी प्राइवेट हॉस्पिटल्स भी शामिल हैं, जहां पर टीपीए की सुविधा भी है, लेकिन कोरोना की तबाही के बीच प्राइवेट कोविड हॉस्पिटल्स कैशलेस ट्रीटमेंट से इंकार कर रहे हैं और सिर्फ कैश लेकर ही इलाज कर रहे हैं। एक एक कोरोना पेशेंट का लाखों रुपए का बिल बन रहा है। जिसे चुकाने के लिए उन्हें कैश का इंतजाम करना भी भारी पड़ रहा है। इस बीच उनकी मेडीक्लेम पॉलिसी भी बेकार जा रही है। सिटी के प्राइवेट कोविड अस्पतालों में मौजूदा दौर में एक हजार से ज्यादा पेशेंट्स का ट्रीटमेंट चल रहा है। इनमें से कई आईसीयू, एचडीयू और बड़ी संख्या में संक्रमित सिर्फ आइसोलेशन में ही भर्ती हैं।
केस-1विनायकपुर निवासी संकल्प ने अपनी फैमिली का 10 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस लिया था। पिछले हफ्ते उनके पिता मां और दादी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। सांस लेने में प्रॉब्लम होने पर कल्याणपुर स्थित एक प्राइवेट कोविड अस्पताल में भर्ती कराया। भर्ती होने पर जब उन्होंने मेडीक्लेम पॉलिसी से पेमेंट की बात कही तो अस्पताल की ओर से उन्हें साफ इंकार कर दिया गया और कैश में ही बिल पेमेंट की मांग की गई। इलाज के बाद उन्हें सवा दो लाख रुपए कैश पेमेंट करना पड़ा। मेडीक्लेम पॉलिसी उनके किसी काम नहीं आई।
केस-2 बर्रा स्थित हॉस्पिटल में मेडीक्लेम पॉलिसी होने के बाद भी कोरोना संक्रमित के भर्ती होने पर उनसे कैश मांगा गया। अस्पतालों में बेड नहीं होने पर मजबूरी में उन्होंने अस्पताल में ही इलाज कराया। जब वह डिस्चार्ज होने लगे तो उन्हें सवा तीन लाख रुपए का बिल थमा दिया गया। पेशेंट के परिजनों ने अस्पताल पर इलाज के नाम पर वसूली का आरोप लगाया और कंप्लेन की। मामले की जांच हुई जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई। इरडा तक पहुंची कंप्लेनकोरोना संक्रमितों को प्राइवेट कोविड अस्पतालों में मेडीक्लेम पॉलिसी का फायदा नहीं मिलने की शिकायत देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस रेग्युलेटरी अथारिटी इरडा तक भी पहुंची। जिसके बाद इरडा की तरफ से हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस करने वाली कंपनियों को चेतावनी जारी की गई है। जिसके मुताबिक कहा गया है कि मेडीक्लेम पॉलिसी होल्डर्स के सर्विस लेवल एग्रीमेंट का उल्लघंन नहीं होना चाहिए।
क्लेम सेटलमेंट में देरी कानपुर नर्सिग होम एसोसिएशन के एक पदाधिकारी बताते हैं कि मौजूदा दौर में कोविड अस्पतालों में बेड की उपलब्धता को लेकर काफी दबाव है। मेडीक्लेम पॉलिसी का पेमेंट क्लीयर होने में काफी वक्त लगता है ऐसे में पेशेंट को डिस्चार्ज नहीं कर पाते। कई बार अप्रूवल के लिए भेजे गए बिलों पर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से लगातार इंक्वायरी आती है। जिसमें काफी वक्त लगता है। ऐसे में टीपीए की सुविधा होने के बाद भी ट्रीटमेंट के बाद बिलिंग कैश में लेने पर जोर दे रहे हैं। कैश ने नाम पर वसूली कोरोना ट्रीटमेंट के नाम पर शहर के कई बड़े अस्पतालों की चांदी भी हो गई है। पेशेंट्स को भर्ती करने के साथ ही उनका कैश पैकेज पर इलाज किया जा रहा है। इस बाबत प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की गई तो उन्होंने अस्पताल पहुंच कर इंस्पेक्शन किया और अस्पताल प्रशासन को चेतावनी भी दी। पिछले हफ्ते मरीज से वसूली पर बर्रा स्थित फैमिली अस्पताल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई। इरडा ने दी ये चेतावनी-- इंश्योरेंस कंपनियों से मेडिक्लेम ट्रीटमेंट के लिए जिन हॉस्पिटल्स का कॉट्रैक्ट है वह सर्विस रूल न तोड़े।
- जिन अस्पतालों में कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा है वह पेशेंट्स को तुरंत इलाज दें। कैश पेमेंट न मांगे। - इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटलमेंट में लगने वाले वक्त को कम करें। जल्दी क्लेम को अप्रूव करें। - जो अस्पताल कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा होने के बाद भी बीमाधारक के इलाज से इंकार करता है। इंश्योरेंस कंपनियां उनके खिलाफ कार्रवाई करें। बीमाधारक के भी अपने अधिकार होते हैं। अगर उसे समय पर बीमा की शर्तो को पूरा करते हुए भी क्लेम नहीं मिल रहा है। तो बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत करे। इरडा के साथ ही कंज्यूमर फोरम में भी शिकायत कर सकते हैं। - शिवाकांत दीक्षित, सीनियर एडवोकेट