राष्ट्रपति का शहर के एंट्री गेट का सपना नहीं हो सका साकार
कानपुर (ब्यूरो) साल 2018 में कानपुर में राष्ट्रपति ने इच्छा जाहिर की थी कि कानपुर में एंट्री के दौरान यहां झलकियां खूबसूरत होनी चाहिए, ताकि लगे कि हम कानपुर में एंट्री कर रहे हैं, हैरानी की बात यह है कि इच्छा जाहिर किए लगभग चार से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन अब तक एक एंट्री प्वाइंट को छोड़कर किसी पर काम नहीं किया गया है। जिससे एंट्री प्वाइंट की हालत बेहाल होती जा रहा है, इस तरफ न किसी अधिकारी का ध्यान जा रहा है और न ही इसे नए सिरे से बनाने की कोई प्लानिंग है।
दूसरे शहरों से जुड़ते हैं एंट्री गेट
दूसरे शहरों से कानपुर में आने के लिए पांच मुख्य मार्ग हंै, इनमें प्रयागराज से आने वाले रामादेवी एंट्री गेट, हमीरपुर से आने पर हमीरपुर रोड स्थित बिधनू, उन्नाव से कानपुर कैंट एंट्री गेट, फर्रुखाबाद, कन्नौज से मंधना एंट्री गेट, दिल्ली, आगरा से भौंती एंट्री गेट शामिल है। ये वो एंट्री प्वाइंट हंै, जिससे रोजाना लाखों लोग कानपुर में एंट्री करते हैं।
ये है स्थिति
जाजमऊ को छोड़कर ज्यादातर एंट्री गेट का हाल बेहाल है। रामादेवी से लेकर मंधना एंट्री प्वाइंट पर अतिक्रमण और धूल का अंबार है, यह एंट्री गेट खूबसूरत लगने के बजाए कानपुर की छवि भी बिगाड़ते हैं, ऐसे में इसके सुधार किए जाने से शहर की एंट्री काफी खूबसूरत हो सकती है, लेकिन इन जगहों पर सिर्फ धूल का अंबार लगा होता है।
लखनऊ से कानपुर जाजमऊ एंट्री गेट को छोड़ दिया जाए तो बाकी अन्य किसी भी एंट्री प्वाइंट को खूबसूरत बनाने की किसी ने जरूरत नहीं समझी है। जिस कारण राष्ट्रपति का सपना अब महज सपना ही बनकर रहा गया है। हालांकि साल 2018 में तत्कालीन कमिश्नर सुभाष चंद्र शर्मा ने राष्ट्रपति इच्छा को धरातल पर उतारते हुए जाजमऊ में शहर का एंट्री प्वाइंट पर चार चांद लगाने के लिए प्रपोजल तैयार करवाया। जिसके बाद इसे लगभग 14 करोड़ की लागत से तैयार किया। आज के समय में लखनऊ से कानपुर में एंट्री करते समय नजारा काफी खूबसूरत हो जाता है।