कोविड-19 के लिए 20 बेड का डेडीकेटेड आईसीयू
-एलएलआर हॉस्पिटल के सर्जरी डिपार्टमेंट में पीओपी वार्ड को आईसीयू में कंवर्ट करेंगे, हाई डिपेंडेंसी यूनिट भी होगी तैयार
- अस्पताल प्रशासन को अभी नए वेंटीलेटर मिलने की संभावना नहीं, मौजूदा आईसीयू से ही रिवर्ज किए जाएंगे वेंटीलेटरKANPUR: कोविड-19 वायरस से पॉजिटिव आने वाले सीनियर पेशेंट्स के ट्रीटमेंट के लिए हैलट में 20 बेड का एक डेडीकेटेड आईसीयू तैयार होगा। इसमें सभी बेड्स पर वेंटीलेटर भी होंगे। इसे मेडिकल कॉलेज के सर्जरी डिपार्टमेंट के खाली पड़े पीओपी वार्ड में बनाया जाएगा। इसके अलावा 20 बेड का ही एक एचडीयू भी डिपार्टमेंट के फर्स्ट लोर पर तैयार किया जाएगा। इसके लिए काम शुरू भी हो गया है। 20 वेंटीलेटर्स को हैलट में मौजूदा आईसीयू से ही लिया जाएगा। अभी हैलट के अलग अलग डिपार्टमेंट के आईसीयू में कुल 60 वेंटीलेटर हैं। वहीं अभी अस्पताल प्रशासन को नए वेंटीलेटर मिलने की उम्मीद नहीं है। वेंटीलेटर के साथ ही बाईपेप मशीनों का भी इंतजाम किया जा रहा है।
वेंटीलेटर्स की कमीकानपुर के सरकारी अस्पतालों में वेंटीलेटर की कुल संख्या 100 भी नहीं है। सबसे ज्यादा वेंटीलेटर एलएलआर हॉस्पिटल में ही हैं। इसके बाद एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी और मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल और उर्सला अस्पताल में कुछ वेंटीलेटर्स हैं। पेशेंट्स को फेफड़ों तक ठीक से ऑक्सीजन पहुंचे इसके लिए हैलट में 6 बाईपेप मशीने हैं। ऐसे में अगर कोविड-19 वायरस का प्रकोप बढ़ता है तो सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो सकते हैं।
क्षमता बढ़ाने के दावे हांलाकि मेडिकल कॉलेज के अधिकारी और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से लगातार क्षमता बढ़ाने के दावे किये जा रहे हैं। संसाधनों को बढ़ाने के लिए कालेज प्रशासन की ओर से डिमांड डीएम को भेजी भी गई है। वहीं अस्पताल प्रशासन को फौरी मदद के तौर पर अभी 2 करोड़ रुपए मिले हैं। जिससे जरूरी प्रोटेक्टिव कंज्यूमेंबल आइटम्स और दवाओं के आर्डर किए गए हैं। - कोविड-19 पेशेंट्स के लिए 20 बेड का आइईसीयू तैयार किया जाएगा। इसके अलावा क्रिटिकल पेशेंट्स के लिए इतने ही बेड का एक एचडीयू भी तैयार होगा। इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है। वायरस पीडि़त पेशेंट्स के ट्रीटमेंट के लिए हम अपनी क्षमता को बढ़ा रहे हैं। - डॉ.आरके मौर्या,एसआईसी,एलएलआर एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स ---------------- अस्पताल हुए खालीअस्पतालों में ओपीडी सर्विसेस बंद होने और इलेक्टिव ऑपरेशन भी टलने के बाद से सन्नाटा छा गया है। जो पेशेंट्स बचे भी हैं, उन्हें डिस्चार्ज कर घर भेजा जा रहा है। हांलाकि इमरजेंसी सर्विसेस चल रही हैं, लेकिन पेशेंट आना बेहद कम हो गए हैं। हैलट की इमरजेंसी में ही जहां सामान्य दिनों में रोज 100 से ज्यादा पेशेंट्स भर्ती होते थे। वहीं अब यह संख्या घट कर आधी रह गई है। यही हाल उर्सला समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों का भी है।