सोशल मीडिया पर की अश्लीलता तो जेल भेजेगी 'लेडी सेल'
- सर्विलांस, क्राइम ब्रांच के साथ साइबर टीम के संपर्क में रहेंगी सेल की सिपाही
- कानपुर कमिश्नरेट ने किया गठन, केवल महिलाओं से संबंधित अपराध पर निगाह रखेगी सेल kanpur : यदि कोई शोहदा सोशल मीडिया पर आपको परेशान कर रहा है या आपकी आईडी हैक कर ली और आप थाने नहीं जाना चाहती तो आप लेडी सेल से हेल्प ले सकते हैं। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस ने ऐसे शोहदों को सबक सिखाने के लिए 'लेडी सेल' का गठन किया है। आपकी सहमति से शोहदे के खिलाफ केस दर्ज कर सख्त एक्शन भी लिया जाएगा। इस सेल का ऑफिस ट्रैफिक पुलिस लाइन में बनाया गया है। सेल में एक महिला दारोगा, चार सिपाही और दो महिला होमगार्ड की तैनाती की गई है। कैसे काम करेगी 'लेडी सेल'तकनीकी रूप से मजबूत पुलिसकर्मियों को इस सेल में शामिल किया गया है। इन सभी को लखनऊ की लैब में एक महीने की ट्रेनिंग देने के बाद लेडी सेल से जोड़ा गया है। आम आदमी के द्वारा इस्तेमाल करने वाले इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और कोई भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म इनके सिस्टम पर होगा। इनके या कानपुर पुलिस कमिश्नरेट पुलिस के फेसबुक पेज से एक फ्रेंड रिक्वेस्ट सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर काम करने वाले को भेजी जाएगी। फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करते ही आप 'लेडी सेल' के दायरे में आ जाएंगी। इस सेल से केवल महिलाओं को ही रिक्वेस्ट भेजी जाएगी और इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि आपकी निजता न भंग हो। आपके सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अगर कोई अश्लील संदेश आएगा तो उसकी जानकारी आपको देने के बाद आरोपी का यूआरएल एड्रेस और आईपी एड्रेस निकाली जाएगा।
आरोपी को तलाशेगी क्राइम ब्रांच सारी जानकारी कलेक्ट करने के बाद पीडि़ता को रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए कहा जाएगा। अगर पीडि़ता रिपोर्ट दर्ज नहीं कराना चाहेगी तो यूआरएल और आईपी एड्रेस को आधार बना कर रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। इस पूरे प्रॉसेस में 15 दिन का समय लग जाएगा। जिसके बाद 'लेडी सेल' की इंचार्ज क्राइम ब्रांच प्रभारी सलमान ताज पाटिल को जानकारी देंगी। इसके बाद टीम आरोपी को गिरफ्तारी करने की योजना बनाएगी। इन धाराओं में दजर् होगा केससंविधान के आर्टिकल 19 (1) के तहत सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने इसे प्रोत्साहित करने में अहम रोल निभाया। आईपीसी की धारा 153 और 34 के साथ आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। आईपीसी की धारा 153 उनके खिलाफ लगाई जाती है, जो धर्म, नस्ल, भाषा, निवास स्थान या फिर जन्म स्थान के आधार पर अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत फैलाने और सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। इस धारा के तहत तीन साल की जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
बाक्स बनाएं धारा 67 क्या कहती है आईटी एक्ट की धारा 67 में कहा गया है कि अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है। साथ ही 5 लाख रुपए का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, अगर ऐसा अपराध फिर दोहराया जाता है, तो मामले के दोषी को 5 साल की जेल हो सकती है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। '' सोशल मीडिया पर अश्लीलता रोकने के लिए 'लेडी सेल' का गठन किया गया है। जल्द ही इसके परिणाम सामने होंगे और सोशल मीडिया पर काम करने वाली महिलाओं को अश्लीलता से छुटकारा मिलेगा.'' असीम अरुण, सीपी कानपुर