फर्जी जमानतगीरों पर पुलिस की 'थर्ड आई', जेल की हवा खाएंगे
- करीब 125 ऐसे लोग चिन्हित किए गए जो कई बार ले चुके जमानत
- कोर्ट से लेकर थाने तक फैला है फर्जी जमानत लेने वालों का रैकेटKANPUR : चोरी, लूट, नकबजनी, हत्या, रेप, किडनैपिंग, फ्रॉड समेत तमाम बड़े अपराधों को अंजाम देने वाले शातिरों की फर्जीवाड़ा कर जमानत लेने वालों का गैंग शहर में एक्टिव है। ये रैकेट शातिर क्रिमिनल्स की अरेस्टिंग के बाद तुरंत काम शुरू कर देता है। कोर्ट से बेल मंजूर होने के बाद इन फर्जी जमानतगीरों का रोल शुरू हो जाता है। ये फर्जी जमानतगीर सब करा देते हैं, इस रैकेट की सेटिंग कोर्ट से लेकर थाने तक फैली है, लेकिन अब इन फर्जी जमानतगीरों पर खाकी की नजर टेढ़ी हो गई है। एसपी वेस्ट डॉ। अनिल कुमार शर्मा के नेतृत्व में एक अभियान शुरू किया गया है। जिसमें फर्जी जमानतगीरों को आईडेंटीफाई किया जा रहा है। अब तक 125 फर्जी जमानतगीर पुलिस के रडार पर आ गए हैं। जिन शातिर अपराधियों की जमानत इन फर्जी जमानतगीरों ने ली है, फर्जी तरह से बेल पर छूटे क्रिमिनल्स के लिए तो खाकी का 'पिंजरा' इंतजार कर ही रहा है। साथ ही उनकी भी आफत आने वाली है जो जमानत ले रहे हैं।
जमानत मंजूर होते ही रैकेट काफर्जी जमानत वालों का रैकेट कोर्ट कैंपस में एक्टिव रहता है। ये कई लोगों के संपर्क में रहते हैं। जैसे कचहरी के वाहन स्टैंड संचालक, चाय वाले, पान वाले, स्टेशनरी बेचने वाले और वकीलों के बस्ते पर काम करने वाले मुंशी आदि। जमानत मंजूर होते ही इस रैकेट का काम शुरू हो जाता है। इनके पास जमीन, बाइक, घर, मकान, दुकान के फर्जी कागजात, एफडी और जमानत लेने के तमाम साधन मौजूद रहते हैं। कोर्ट में कागज लगाने के बाद वेरिफिकेशन का आदेश दिया जाता है। वेरिफिकेशन थाना पुलिस कराती है। पेशकार (थाने का सिपाही) ये वेरिफिकेशन का फार्म लेकर चलते तो कोर्ट से हैं लेकिन चबूतरे से आगे ये फार्म नहीं बढ़ पाता। सही समय पर वेरीफिकेशन पहुंच जाता है। पुलिस की माने तो एक-एक संपत्ति पर दर्जनों जमानत लेने के मामले सामने आए हैं। शिकायत मिलने पर जब संपत्ति की जांच की गई तो तहसील से लेकर गांव तक कहीं जमीन नहीं मिली।
कचहरी कैंपस में ही मिल जातेसवाल ये उठता है कि आखिर फर्जी जमानतगीरों की जरूरत क्यों पड़ती है? शातिर अपराधियों पर कई-कई मुकदमे होते हैं। जिनमें उनके परिवार वाले या पैरवी करने वाले जमानतगीरों का इंतजाम नहीं कर पाते हैं, इसलिए इन फर्जी जमानतगीरों की जरूरत पड़ती है। ये कचहरी कैंपस में आसानी से मिल जाते हैं। हां फर्जी जमानतगीर का दाम 3 से 8 हजार रुपए है। कोर्ट में जज के सामने ये इतने कॉन्फिडेंस से बोलते हैं कि कोई इन पर शक नहीं कर पाता है।
'' लगभग 125 फर्जी जमानतगीर चिन्हित किए गए हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा गया है। शातिर अपराधियों की जमानत कैंसिल होगी। जमानतगीरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.'' डॉ। अनिल कुमार शर्मा, एसपी वेस्ट