पीयूष की उम्र कैद की सजा बरकरार
- 27 सितंबर 2010 को हुए चर्चित दिव्या रेप केस में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनाया डिसीजन
-स्कूल प्रबंधक के बड़े बेटे और प्रधानाचार्य को किया बरी, KANPUR: चर्चित दिव्या रेप केस में बुधवार को हाईकोर्ट की बेंच ने डिवीजन बेंच ने अपना निर्णय सुना दिया। न्यायाधीश मुनेश्वर नाथ भंडारी और न्यायाधीश शमीम अहमद की डिवीजन बेंच ने स्कूल प्रबंधक के छोटे बेटे पीयूष को दोषी पाते हुए जिला न्यायालय से मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। वहीं बड़े बेटे मुकेश और स्कूल के प्रिंसिपल संतोष सिंह उर्फ मिश्राजी को बरी कर दिया। डीएनए रिपोर्ट बनी वजहहाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एलएम सिंह और एडवोकेट रघुवीर शरण सिंह ने बताया कि पीयूष की सजा का आधार डीएनए रिपोर्ट बनी। दरअसल सीएमएम कोर्ट के आदेश पर स्कूल प्रबंधक, उनके बेटे और शिक्षक समेत 16 लोगों को डीएनए टेस्ट हुआ था। इसमें चंद्रपाल वर्मा, सुधीर और पीयूष का डीएनए मैच किया था। चंद्रपाल वर्मा की उम्र 72 साल थी जबकि मुकेश घटना के समय उन्नाव में था जबकि पीयूष की उपस्थिति स्कूल परिसर के दो किमी दायरे में पाई गई थी।
यह था मामलारावतपुर गांव निवासी सोनू भदौरिया की बेटी अनुष्का उर्फ दिव्या भारती ज्ञान स्थली स्कूल में कक्षा छह की छात्रा थी। 27 सितंबर 2010 को वह सुबह स्कूल गई जहां उसकी हालत बिगड़ गई और हॉस्पिटल ले जाते समय मौत हो गई। दिव्या की मां सोनू भदौरिया ने कल्याणपुर थाने में बेटी के साथ दुष्कर्म की आशंका और हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।
सुनाई थी सजा वरिष्ठ अधिवक्ता अजय भदौरिया ने बताया कि पांच दिसंबर 2018 को तत्कालीन विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट ज्योति कुमार त्रिपाठी ने पीयूष को हत्या में उम्रकैद की सजा व 50 हजार जुर्माना जबकि कुकर्म में दस साल कैद 25 हजार जुर्माना से दंडित किया था। न्यायालय ने मुकेश और प्रधानाचार्य संतोष को लापरवाही का दोषी पाते हुए एक-एक वर्ष कैद और 21-21 हजार रुपये जुर्माना लगाया था, जबकि चंद्रपाल वर्मा को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया।