इन दिनों कानपुराइ्स के लिए पिटबुल और रॉटविलर रखने को लेकर संशय बना हुआ है. नगर निगम की तरफ से दोनों ब्रीड को बैन करने के बाद लोगों में आक्रोश है. इनके मालिकों का कहना है कि अचानक जारी हुआ ये आदेश किसी तुगलकी फरमान से कम नहीं है. नगर निगम को पहले इसे लेकर खाका तैयार करना चाहिए और फिर टीम बना कर उन डॉग्स की जांच करनी चाहिए. ताकि जो खूंखार है उन्हें चिन्हित कर यहां से हटा लें. इन डॉग्स मालिकों का कहना है कि अगर नगर निगम ने प्रतिबंध नहीं हटाया तो इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

कानपुर (ब्यूरो) कल्याणपुर के मनीष कुमार ने बताया कि जिस तरह वाहन चालकों के पास लाइसेंस तो होता है, लेकिन एक्सीडेंट होने के बाद उस मॉडल की सभी गाडिय़ां बैन नहीं की जा सकती है। ठीक उसी तरह एक डॉग्स के खूंखार होने पर सभी को बैन नहीं किया जा सकता हैं। इस फैसले को वापस लेना होगा। रही बात बैन करने की तो शुरू से यह कदम क्यों नहीं उठाए गए। सही मायने में तो पहले डॉग्स के मालिकों को इसके बारे में अवेयर करना चाहिए, अब कैसे डॉग को अपने से जुदा कर सकते हैं।

रजिस्ट्रेशन भी हवा हवाई
यूपी पेट्स शाँप वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट विनय दीक्षित के मुताबिक, सिटी में पिटबुल के लगभग 500 और रॉटविलर के लगभग एक हजार है। हैरानी की बात है कि काफी समय से इनके रजिस्ट्रेशन के लिए कोई खास खाका तैयार नहीं किया गया है और जब बना भी तो सब हवा हवाई है। ऐसे में अधिकारियों को चाहिए कि टीम बनाकर सिटी में डॉग्स की संख्या पता करें, इसके बाद ट्रेनिंग से लेकर रखरखाव को लेकर लोगों को इसके बारे में जागरूक करें।

क्या बोले डॉग लवर्स
इस ब्रीड को रखने को लेकर मामला कोर्ट में भी चल रहा है। बावजूद इसके इस बैन करने का फैसला लिया गया है। मेरे पास साढ़े तीन साल का रॉटविलर है, अब इसे अपने से कैसे अलग कर सकता हूं, ऐसे में नगर निगम को चाहिए कि अपना फैसला वापस कर लें और सिर्फ उन्हीं पर पाबंदी रखे, जिनके डॉग खूंखार है। बाकियों को न परेशान किया जाए।
मनोज दुबे, नयागंज

साल 2017 से रॉटविलर मेरे पास है, अब वह पांच साल का हो गया है और अचानक यह कहा जाता है कि उनका डॉग उनसे छीन लिया जाएगा, भला ऐसे कैसे हो सकता है। इस फैसले को बदलने की जरूरत है। साथ ही सोसाइटी सेफ्टी के लिए टीम बनानी चाहिए, जिनमें खूंखार डॉग्स को परखने की क्षमता हो। इसके बाद ही उन डॉग्स मालिकों पर एक्शन लें।
पुनीत श्रीवास्तव, नौबस्ता

पिटबुल और रॉटविलर को बैन करना बहुत खराब फैसला है। मेरे पास डेढ़ साल का पिटबुल है, अब अचानक से इसपर बैन लगाने से दिक्कत आएगी। मेरे पास यही ऑप्शन है कि डॉग को अब कहीं बाहर छोड़ आऊं, नहीं तो बेवजह पांच हजार जुर्माना देना पड़ेगा। यही कहना हूं कि इस तरह का फैसले लेने से पहले डॉग के बिहेवियर की जांच करवाया जाए।
शोमिल यादव, नौबस्ता

यह भी जानना जरूरी
803 डॉग्स का हुआ रजिस्ट्रेशन
200 रुपए में देशी ब्रीड का रजिस्ट्रेशन
500 रुपए में विदेशी ब्रीड का रजिस्ट्रेशन
5000 रुपए का जुर्माना रजिस्ट्रेशन न करवाने पर
01 परिवार सिर्फ दो डॉग्स पाल सकता है

इनको किया गया बैन
सभी बुल टेरियर
अमेरिकन बुल
अमेरिकन पिटबुल
राटविलर

क्यों किया गया बैन
अगस्त महीने में लखनऊ में पिटबुल ने अपने ही मालकिन को मौत के घाट उतार दिया था। इसके अलावा पिछले सप्ताह सरसैया घाट के पास पिटबुल गाय का जबड़ा चबा लिया। कई लगातार केस आने पर नगर निगम सदन ने इन खूंखार डॉग्स पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया।

एक नजर में
रॉटविलर
रॉटविलर अपने एग्रेशन के लिए काफी बदनाम है।
यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों में राटविलर बैन
भारत में पालने को लेकर किसी तरह का कोई बैन नहीं
इसका जबड़ा और शरीर बेहद मजबूत होता है
लंबाई 61 से 70 सेंटीमीटर होती है
इसकी उम्र औसत 8 से 10 साल होती है
वजन 60 किलो तक होता है
पालने से पहले इनकी ट्रेनिंग जरूरी होती है
पिटबुल
24 देशों में बैन है पिटबुल
18 से 30 किलोग्राम तक होता है वजन
काला, हल्का भूरा और लाल रंग का होता है
उम्र 15 साल तक होती है
जबड़ा और शरीर बेहद मजबूत होता है
इन्हें भी ट्रेनिंग की जरूरत होती है

Posted By: Inextlive