सज़ा हुई तो प्रधानमंत्री पद पर नहीं रहूँगा: गिलानी
अरबी टीवी चैनल अल जाज़ीरा को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मुझे इस्तीफ़ा देने की कोई ज़रुरत नहीं है, अगर मुझे सज़ा हो जाती है तो मैं संसद का सदस्य भी नहीं रहूँगा और निश्चित रुप से प्रधानमंत्री पद पर भी.”
इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि राष्ट्रपति आसिफ़ ज़रदारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच से इनकार पर उन्हें छह महीने की सज़ा हो सकती है या नहीं।इस पर गिलानी ने कहा, “मैं पहले भी अदालत में पेश हुआ था और मेरे वकील क़ानून के अच्छे जानकार हैं.मैं नहीं समझता कि जैसा आपने सोचा है वही होगा.”अवमानना का मामलाजब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि क्या इस मुक़दमे में राष्ट्रपति आसिफ़ ज़रदारी का समर्थन करना ठीक है और क्या वह उनकी नज़र में भ्रष्ट नहीं हैं तो गिलानी ने कहा, “राष्ट्रपति संसद का हिस्सा हैं और वह चुने हुए राष्ट्रपति हैं क्योंकि चारों प्रांतीय विधानसभाओं ने उनके समर्थन में वोट दिया था। उस समय किसी को कोई आपत्ति नहीं थी.”
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ज़रदारी के ख़िलाफ़ राजनीतिक बुनियादों पर मुक़दमे बनाए गए थे और उनपर जो भी आरोप लगे, उन्होंने अदालतों का सामना किया और वह बरी हुए।ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी सोमवार को अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होंगे। माना जा रहा है कि सोमवार 13 फ़रवरी को प्रधानमंत्री पर अदालत की अवमानना के आरोप में अभियोग किया जाएगा।
गिलानी पर आरोप हैं कि उन्होंने ज़रदारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए स्विस अधिकारियों से आग्रह न करके अदालत की अवमानना की है।सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी को कई नेताओं को मिली आम माफ़ी के मामले में प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया था।प्रधानमंत्री यूसुफ रज़ा गिलानी 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे और अदालत को बताया था कि पाकिस्तान के संविधान के तहत राष्ट्रपति ज़रदारी पर कोई मामला नहीं चलाया जा सकता।बाद में सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय खंडपीठ ने दो फ़रवरी को अदालत की अवमानना करने के आरोप में गिलानी पर अभियोग शुरू करने का फ़ैसला लिया था।अदालत ने प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी को 13 फ़रवरी को पेश होने का आदेश भी दिया था। प्रधानमंत्री गिलानी ने स्विट्ज़रलैंड से राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के एक मामले की दोबारा जांच शुरू करने का आवेदन नहीं किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी। पाकिस्तान में गिलानी सरकार एक तरफ़ न्यायापालिका और दूसरी तरफ़ ताक़तवर सेना के बीच उलझी हुई है।