कानपुर बना सबसे बड़ा कमिश्नरेट
कानपुर(ब्यूरो)। लॉ एंड ऑर्डर मेनटेन करने में आ रही तमाम व्यवहारिक दिक्कतों के चलते कानपुर आउटर पुलिस व्यवस्था को खत्म कर इसे पुलिस कमिश्नरेट में शामिल कर दिया गया है। आउटर के 14 थाने शामिल होने से 52 थानों के साथ कानपुर प्रदेश का सबसे बड़ा पुलिस कमिश्नरेट बन गया है। गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में कानपुर, लखनऊ और वाराणसी जिलों के आउटर को खत्म करने का प्रस्ताव पर मुहर लग गई। इससे लॉ एंड ऑर्डर को मेनटेन करने में कमिश्नरेट की चुनौतियां बढ़ेंगी वहीं आउटर में बढ़ते अपराध के ग्राफ को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
बढ़ेगी पुलिस की चुनौती
कानपुर कमिश्नरेट में मौजूदा समय में 38 थाने हैं। जबकि कानपुर आउटर में 14 थाने हैं। कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने के दौरान आउटर की पुलिस व्यवस्था अलग कर दी गई थी। लेकिन, कानपुर ही नहीं, लखनऊ और वाराणसी में आउटर का हिस्सा अलग होने के बाद से लगातार लॉ एंड ऑर्डर को लेकर कई तरह की व्यवहारिक समस्याएं आ रही थीं। इसके चलते आउटर सिस्टम खत्म करने को लेकर शासन में प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में कानपुर समेत तीनों कमिश्नरेट में आउटर के हिस्से को खत्म कर दिया गया है। वाराणसी कमिश्नरेट में 31 और लखनऊ कमिश्नरेट में 48 थाने हैं। इसके चलते 52 थानों के साथ कानपुर प्रदेश का सबसे बड़ा पुलिस कमिश्नरेट बन गया है।
कानपुर आउटर के थानों को कमिश्नरेट में शामिल करने के फैसले का कैबिनेट में मुहर लगने के बाद पुलिस महकमें में चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि पहले की तरह फिर से व्यवस्था लागू कर दी गई है। कमिश्नरेट बनने के बाद आउटर को अलग किया गया था। अब एक बार फिर से आउटर शामिल होने के बाद कानपुर पुलिस कमिश्नर के लिए लॉ एंड ऑर्डर बड़ी चुनौती होगी। कानपुर आउटर में थे ये थाने
महाराजपुर, नर्वल, सचेंडी, बिल्हौर, ककवन, चौबेपुर, शिवराजपुर, घाटमपुर, साढ़ थाना, सजेती और बिधनू थाना के अलावा तीन महिला थाने भी
कमिश्नरेट के थानों की संख्या
कोतवाली, फीलखाना, मूलगंज, कलक्टरगंज, हरबंस मोहाल, बादशाही नाका, अनवरगंज, रायपुरवा, बेगमगंज, छावनी, रेल बाजार, चकेरी, कर्नलगंज, ग्वालटोली, कोहना, सीसामऊ, बजरिया, चमनगंज, स्वरूप नगर, नवाबगंज, काकादेव, कल्याणपुर, पनकी, बिठूर, बाबू पुरवा, जूही, किदवई नगर, गोविंद नगर, गौशाला, बर्रा, नजीराबाद, फजलगंज, अर्मापुर, जाजमऊ थाना, गुजैनी थाना, रावतपुर थाना और हनुमंत विहार थाना और महिला थाना शामिल है।
कमिश्नरेट सिस्टम के विस्तार की 5 वजह
यूपी कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के अनुसार, एक रेवेन्यू डिस्ट्रिक्ट को दो पुलिस डिस्ट्रिक्ट में बदलने से पब्लिक को तमाम तरीके की दिक्कतें आती हैं। जेल और न्यायालय की व्यवस्था एक ही है। प्रशासन, रेवेन्यू सहित कई अन्य विभागों के अफसर भी एक ही हैं। सिर्फ पुलिस के अफसर अलग-अलग हैं। इस वजह से पब्लिक को परेशानी होती है। ग्रामीण इलाके का एक सामान्य सा आदमी तो लंबे समय तक ये समझ ही नहीं पाता है कि वह किस अफसर के जाकर अपनी समस्या सुनाए। इसलिए एक रेवेन्यू डिस्ट्रिक्ट में पुलिस का एक तरह का ही सिस्टम ही सही है. अधिकारियों के बीच तालमेल में समस्या
जिले में वीआईपी ड्यूटी और तीज-त्योहारों के दौरान लॉ एंड ऑर्डर के मद्देनजर को-ऑर्डिनेशन में तमाम तरह की परेशानी आती हैं। लखनऊ, वाराणसी और कानपुर तीनों ही प्रदेश के अति महत्वपूर्ण शहर हैं। यहां रोजाना वीआईपी ड्यूटी का प्रेशर भी रहता है। ऐसे में बेहतर यही है कि एक जिले में पुलिसिंग का एक सिस्टम ही प्रभावी रहे. नए इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा इंवेस्टमेंट
लखनऊ, वाराणसी और कानपुर में ग्रामीण पुलिस के लिए अभी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाना है। अलग पुलिस लाइन, अलग पुलस ऑफिस, व्हीकल, मालखाना तैयार करने में बड़ी रकम खर्च होनी थी। कमिश्नरेट सिस्टम का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का काम चल ही रहा है। इसके साथ ही कमिश्नरेट सिस्टम में अधिकारियों की संख्या भी पर्याप्त है। इसलिए एक जिले में पुलिसिंग का एक सिस्टम ही बेहतर है. क्राइम कंट्रोल में मिलेगी हेल्प
क्राइम कंट्रोल करने के लिहाज से भी एक जिले में पुलिसिंग का एक सिस्टम ही अच्छा है। अक्सर शहरी क्षेत्र में अपराध करने के बाद बदमाश उससे सटे ग्रामीण इलाकों की ओर रुख करते हुए भागते हैं। कमिश्नरेट और ग्रामीण इलाके की पुलिस के बीच तत्काल अच्छा को-ऑर्डिनेशन न हो पाने से बदमाशों की धरपकड़ में दिक्कत आती है। एक सिस्टम लागू होने से जिले और शहर के एंट्री प्वाइंट्स की पुलिस प्रभावी तरीके से निगरानी कर सकेगी. ट्रैफिक सिस्टम एक सा होगा
जिले में शहर से लेकर आउटर एरिया के प्रमुख कस्बों तक की ट्रैफिक व्यवस्था एक सी होगी। इसके साथ ही यातायात संबंधी नियम-कायदों का प्रभावी तरीके से लागू करना भी संभव हो सकेगा.
यूपी के चार जिलों में है कमिश्नरेट
यूपी में मौजूदा समय में 4 जिलों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है। ये जिले नोएडा, लखनऊ, वाराणसी और कानपुर हैं। लखनऊ और नोएडा में जनवरी 2020 में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ था। वहीं, वाराणसी और कानपुर में मार्च 2021 में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ था। नोएडा को छोडक़र शेष तीनों जिलों के ग्रामीण इलाके की पुलिसिंग के लिए आउटर पुलिस की एक अलग यूनिट बनाई गई थी। शहरी क्षेत्र की पुलिसिंग व्यवस्था का मुखिया एडीजी स्तर के पुलिस अफसर को बनाया गया था। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की पुलिसिंग व्यवस्था का मुखिया पुलिस अधीक्षक स्तर के अफसर को बनाया गया था।