गर्मी में पानी किल्लत से बचने के लिए नगर निगम ने सिटी के सभी वाहन धुलाई सेंटर को बंद करवाने का आदेश दिया था हैरानी की बात है कि तीन दिन बाद भी धुलाई सेंटर धड़ल्ले से चल रहे हैं जिससे रोजाना लाखों लीटर पानी वेस्ट हो रहा है. ऐसे में सवाल है कि जब धुलाई सेंटर्स को बंद करवाने का आदेश दिया है तो अधिकारी काम में लेटलतीफी क्यों कर रहे हैं.

कानपुर (ब्यूरो) इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम सैटरडे को सिटी के अलग-अलग धुलाई सेंटर पहुंची तो लगभग सभी सेंटर चल रहे थे। अनवरगंज स्थित धुलाई सेंटर्स के मालिक फैजान का कहना था कि उनके पास बंद करने का कोई आदेश नहीं आया है।
यहां धड़ल्ले से चल रहे धुलाई सेंटर बकरमंडी, रामबाग, नयापुरवा, बारादेवी, गौशाला, किदवईनगर, कल्याणपुर, शास्त्रीनगर, शारदानगर, काकादेव, रावतपुर, बजरिया, लाल बंगला समेत कई एरिया में वाहन धुलाई सेंटर चल रहे है। एक गाड़ी धुलाई करने पर औसतन 50 से 55 लीटर पानी का इस्तेमाल होता है, अगर ट्रक, बस, डंपर समेत अन्य बड़ी गाडिय़ां हैं तो 500 लीटर से अधिक का पानी खर्च हो जाता है।

कार्यकारिणी बैठक में फैसला
मेयर प्रमिला पांडे ने बताया कि मई, जून और जुलाई में सिटी के सभी वाहन धुलाई सेंटर पर गाडिय़ों के धुलने पर रोक लगाई जा रही है। कुछ सर्विस सेंटर जलकल विभाग की लाइन में ही मोटर लगाकर वाहनों की धुलाई कर रहे हैं।

यह भी जाने
- 550 से अधिक वाहन सर्विस सेंटर
- 55 लीटर औसतन वाहन की धुलाई पर पानी खर्च
- 10000 वाहनों की रोजाना धुलाई
- 5.5 लाख लीटर रोजाना पानी वेस्ट

'धुलाई सेंटर की हकीकत जानने के लिए जोन वाइज सर्वे कराया जा रहा है। रिपोर्ट तैयार होते ही अभियान चलाकर सेंटर्स को बंद करवा दिया जाएगा, फिर सेंटर खुले तो पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगीÓ
नीरज गौड़, जीएम, जलकल विभाग

Posted By: Inextlive