देश भर के चिडिय़ाघर को ‘मंगल’ की तलाश
कानपुर (ब्यूरो)। देश भर के जू को &मंगल&य की तलाश है! चौकिए नहीं, मंगल किसी क्रिमिनल की नहीं बल्कि इंसान की तरह खुशमिजाज और कानपुर प्राणी उद्यान में आने वाले दर्शकों के हर दिलअजीज ऑरंगटन (वनमानुष) की बात कर रहे है। कानपुर प्राणी उद्यान में मंगल ही नहीं ऐसे और भी कई करेक्टर्स है जो दुनिया में नहीं है, लेकिन उनका नाम आज भी जिंदा है। मंगल के साथ कानपुर जू आने वाले दर्शक सबसे ज्यादा मिस करते है चिंपैजी छज्जू को। इन दोनों के बाड़े आज भी सूने पड़े है और उन्हें इंतजार है नए मंगल व छज्जू की जोड़ी का।
अब बच्चे कार्टून में ही देख सकेंगे ऑरंगटन
ऑरंगटन (वनमानुष) इस वक्त देश के किसी भी चिडिय़ाघर में नहीं है। अब बच्चे टीवी व कार्टून में ही वनमानुष को देख सकेंगे, क्यों कि अब न तो चिडिय़ाघर में वह नजर आते है और न ही उनके लाने के लिए फिलहाल कोई प्रयास किया जा रहा हैं। ऑरंगटन (वनमानुष) जो हुबहू इंसान की तरह हरकत करते है और चिडिय़ाघर में आने वाले दर्शकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करते थे। अधिकारियों का भी कहना है कि ऑरंगटन और चिंपैजी के बाड़े में दर्शकों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती थी और उनकी एक झलक पाने की होड़ रहती थी। चिडिय़ाघर के राजस्व को बढ़ाने में ये ऑरंगटन और चिंपैजी बहुत महत्वपूर्ण थे।
वेबसाइट पर आज भी मंगल, छज्जू का नाम
मंगल व छज्जू कानपुर जू के लिए कितने महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी जू की वेबसाइट पर उल्लेखनीय पशुओं में मंगल व छज्जू का नाम चल रहा है। जबकि दोनों की मौत हुए लंबा समय बीत चुका है। कौन था मंगल
नाम-मंगल
प्रजाति - ऑरंटन (वनमानुष)
जन्म - 13 नवंबर 1979
मंगल के मां पिता दयांग व अयांग को 45 साल पहले फिनलैड से कानपुर जू लाया गया था। ऑरंटन की औसतन आयु 30 वर्ष होती है, लेकिन मंगल ने 36 साल की उम्र पूरी की थी। मंगल बच्चों व जू में आने वाले दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय था। 2015 में उसने कानपुर जू में अंतिम सांस ली थी।
कौन था छज्जू
नाम - छज्जू
प्रजाति - चिंपैजी
जन्म - 22 अक्टूबर 1985
छज्जू ने 28 वर्ष 5 माह 23 दिन की उम्र पूरी की थीं। उसके पिता छोटू की मौत 1988 में और मां जुमा की 2007 में हुई थी जबकि उसकी मौत 20 अप्रैल 2015 में हुई थी। छज्जू कानपुर जू में आने वाले दर्शकों के लिए सबसे लोकप्रिय था और यहां तक कि कीपर बाड़े से निकाल कर उसे बाहर तक घूमाते थे।
चिडिय़ाघर में बनाई गई फिल्म में छज्जू का भी रोल था। जिसमें उसके आते ही परिचय कुछ ऐसा दिया जाता था कि &रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, लेकिन नाम हमारा छज्जू है&य पर्सनालिटी में तो हम सलमान खान से कम नहीं है लेकिन मां चाहती थी कि मैं क्रिकेटर बनूं, तबसे बैटिंग बॉलिंग शुरू कर दी। && वनमानुष तो अब किसी चिडिय़ाघर में नहीं है। कानपुर जू में चिंपैजी छज्जू की मौत के बाद अब उनके बाड़े वर्षो से खाली पड़े है। मंगल व छज्जू दोनों जू में आने वाले दर्शकों के लिए सबसे ज्यादा आर्कषण का केंद्र थे.&य&य
-अनुराग सिंह, चिकित्सक, कानपुर प्राणी उद्यान