उर्सला अस्पताल में मरीज और तीमारदारों के लिए शुरू की गई सेल्फ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया उनके दर्द को बढ़ा रही है. ऑनलाइन पर्चा बनाने के लिए कंपनी की ओर से तैनात ज्यादातर वालंटियर्स मरीज और तीमारदार से 20 से 25 रुपये ले रहे हैं. फ्राइडे को रुपयों के लेनदेन के कारण ही वालंटियर्स की मरीजों के साथ हाथापाई हो गई. इस कारण लगभग आधा घंटे तक टोकन की व्यवस्था प्रभावित रही.


कानपुर (ब्यूरो) उर्सला अस्पताल की ओपीडी में विशेषज्ञों को दिखाने के लिए पर्चा बनाने की प्रक्रिया पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऑनलाइन कर दी गई। इसमें आभा ई हास्पिटल के क्यूआर कोड को स्कैन कर मरीजों को टोकन नंबर लेना पड़ता है। जिसके बाद काउंटर पर उनका पर्चा बनता है। इस प्रक्रिया को एजेंट और कर्मचारियों के परिचित की मनमानी ने कठिन कर दिया है। जो मरीजों की जेब को ढीला करने के साथ उनके समय को भी बर्बाद कर रहा है। रजिस्ट्रेशन के खेल में रुपये वसूलने वाले ज्यादातर वालंटियर्स अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों के मिलने वाले हैं या उनके परिवार के सदस्य हैं। जब इस बाबत आयुष्मान भारत डिजिटल निगम के नोडल अधिकारी डा। मोहित ङ्क्षसह ने बात की गई तो उन्होंने ऐसे वालंटियर्स को हटाने की बात कही।

&& कंपनी की ओर से दो वालंटियर्स को निश्शुल्क रजिस्ट्रेशन कराने में मरीजों की मदद के लिए लगाया गया है। परंतु ओपीडी के समय 15 से 20 वालंटियर्स मोबाइल से यह काम कर रहे हैं। इसकी जानकारी प्राप्त हुई है। औचक निरीक्षण कर ऐसे लोगों को पकड़ा जाएगा.&य&य डा। एसपी चौधरी, निदेशक उर्सला अस्पताल

Posted By: Inextlive