ब्रिटेन और इटली में मिले दांतों और जबड़े के अवशेष के अध्ययन से पता चला है कि आधुनिक मानव ने कैसे अपना विजय अभियान चलाया था.

केंट कैवर्न, डेवन, ग्रोट्टा डेल कवेल्लो और अपुलिया जैसे स्थानों पर मिली चीज़ें यूरोप में होमो सेपियंस के अब तक ज्ञात सबसे प्राचीन अवशेष हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि ये अवशेष 41,000 साल से भी ज़्यादा प्राचीन हैं और इटली में मिले बच्चे के दांत तो 45,000 साल से भी पुराने हो सकते हैं। ये जानकारियां विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित हुई हैं।

दांतों के अवशेष के अध्ययन से मिली जानकारी उन पाषाण औज़ारों की खोज से भी मेल खाती है जिनसे पता चलता है कि यूरोप में आधुनिक मानव 40,000 साल पहले रहते थे।

होमो सेपियंस

अब वैज्ञानिकों के पास होमो सेपियंस के ऐसे अवशेष मौजूद हैं जिनके आधार पर इस निष्कर्ष को प्रमाणित किया जा सकता है। इस खोज से ये भी पता चलता है कि होमो सेपियंस कुछ समय तक अपने पूर्ववर्ती निएंडरथॉल के साथ भी यूरोप में रहे थे। लेकिन उसके थोड़े समय बाद ही निएंडरथॉल ख़त्म हो गए। यूरोप में मिले दांतों के अवशेष से ये सवाल भी उठेंगे कि क्या निएंडरथॉल के अंत के लिए होमो सेपियंस ज़िम्मेदार थे।

केंट केवर्न में मिले अवशेषों का अध्ययन करने वाली टीम का नेतृत्व करनेवाले ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के डॉक्टर टॉम हाइघम का कहना है,''इस शोध की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इससे होमो सेपियंस और निएंडरथॉल के कुछ समय तक समकालीन होने की संभावना बढ़ जाती है.'' हालांकि दांत और जबड़े के अवशेषों के बारे में जानकारी कई दशकों है।

केंट कैवर्न में जबड़े की पहचान 1927 में की गई थी। जबकि दक्षिण इटली के ग्रोट्टा डेल कवेल्लो में शिशु के दांत की खोज 1964 में की गई थी। वैज्ञानिक लंबे समय से इन अवशेषों की आयु और उत्पत्ति को लेकर शोध कर रहे थे। उनमें से कइयों का मानना था कि ये अवशेष निएंडरथॉल के हो सकते हैं। लेकिन हाल की विश्लेषणात्मक तकनीक के आधार पर ही इन अवशेषों की सही आयु का पता लगाया जा सका है।

जलवायु परिवर्तनअभी तक ये स्थापित नहीं किया जा सका है कि निएंडरथॉल कैसे ख़त्म हो गए और क्या होमो सेपियंस की उनके विलुप्त होने में कोई भूमिका थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रामाणिक रूप से ये नहीं कहा जा सकता कि दोनों मानव समूहों के बीच कोई लड़ाई हुई थी। लेकिन ये ज़रूर है कि होमो सेपियंस तत्कालीन परिस्थितियों में लड़ाई के लिए ज़्यादा अच्छी तरह तैयार थे। लेकिन निएंडरथॉल के लोप होने के पीछे पर्यावरणीय कारण भी ज़िम्मेदार हो सकते हैं।

लंदन के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के प्रोफ़ेसर क्रिस स्ट्रिंगर का कहना है, ''जब निएंडरथॉल और होमो सेपियंस एक ही समय मौजूद थे तब यूरोप की जलवायु बहुत अस्थिर थी। पर्यावरण में तेज़ी से हो रहे बदलाव की वजह से आबादी में विस्तार और संकुचन हो रहा था। शायद होमो सेपियंस इन पर्यावरणीय बदलाव का सामना करने में निएंडरथॉल के मुक़ाबले ज़्यादा सक्षम थे और यही वजह रही होगी कि निएंडरथॉल समाप्त हो गए.''

Posted By: Inextlive