चिडिय़ाघर में बूढ़े शेर की छूट रही कंपकंपी
कानपुर (ब्यूरो) वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव आने पर चिकित्सकों की टीम सुबह, दोपहर और शाम को स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है। सर्दी के दिनों में बूढ़े जानवरों में दिल के रोग, भूख न लगना, कंपकंपाना, हड्डियों में दर्द की समस्या सामान्य तौर पर देखने को आती है। इन जानवरों को स्वस्थ रखने के लिए प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी डॉ। अनुराग ङ्क्षसह, डॉ। मोहम्मद नासिर और डॉ। नितेश कटियार की टीम समय पर दवाएं और खाना उपलब्ध करा रहे हैं।
दवाओं से दी जा रही ताकत
प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी डॉ। अनुराग ङ्क्षसह ने बताया कि अपनी औसत आयु पूरी कर चुके वन्य जीवों को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, फाइबर, विटामिन की कमी पूरी करने वाली दवाएं दी जा रही हैं। इन जानवरों के व्यवहार का आकलन करके डाइट दी जाती है। ताकि उनमें ताकत बनी रहे। सर्दी से बचाने के लिए उनके बाड़ों में जमीन पर लकड़ी के पटरे बिछाए गए हैं और हीटर लगाए गए हैं।
नहीं दिख रही शेर की चहलकदमी
जू में वन्य जीवों को देखने पहुंच रहे दर्शकों को प्रशांत, त्रुशा, राधा की चहलकदमी देखने को नहीं मिल पा रही है। सर्दी की वजह से वन्य जीव बाड़ों में दुबके हुए हैं। हीटर की गर्माहट उन्हें सुकून दे रही है। दिन में धूप निकलने पर भालू कुछ देर के लिए बाहर आता है लेकिन शीत लहर महसूस होते ही वो बाड़े में जाकर बैठ जाता है। कमोबेश ऐसा ही नजारा अन्य वन्य जीवों के बाड़ा में देखने को मिल रहा है।
मादा भालू राधा : उम्र 25 साल।
बाघ प्रशांत व मादा बाघ त्रुशा : उम्र 17 से 19 साल
नर तेंदुआ सूरज, चंचल, सोहन : उम्र 18 साल
मादा जेब्रा ऐश्वर्या : उम्र 21 साल
दरियाई घोड़ा : उम्र 40 साल कैप्च्युइन बंदर : उम्र 25 साल.(नोट : वन्य जीव चिकित्सकों के अनुसार ये जानवर अपनी औसत आयु पूरी कर चुके हैं.)