गर्मी के दिनों में हर साल आग लगने की सैकड़ों घटनाओं में करोड़ों की संपत्ति स्वाहा हो जाती है. फायर ब्रिगेड की समय पर मदद न मिलने से छोटी आग भी बड़ी घटना का रूप ले लेती है. फायर ब्रिगेड की मदद कैसे नहीं मिल पाती इसके पीछे का कारण चौंका देने वाला है. दरअसल फायर ब्रिगेड के पास आग बुझाने के जो इंतजाम हैैं वह उस वक्त के हैैं जब इस शहर की आबादी 5-10 लाख के बीच हुआ करती थी. आबादी बढ़ कर अब करीब 53 लाख से ज्यादा हो गई लेकिन फायर ब्रिगेड की क्षमता वही पुरानी है. ऐसे में भगवान से यही प्रार्थनी कीजिए कि इस शहर में आग न लगने पाए.

कानपुर (ब्यूरो) मात्र 14 दमकल गाडिय़ों के सहारे पूरे शहर को आग बुझाने की व्यवस्था है। सिर्फ इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रशासन के अफसरों ने कभी यह सोचा ही नहीं कि बढ़ती आबादी के साथ फायर फाइटिंग इक्यूपमेंट्स भी उतनी ही तादाद में होना चाहिए था। ऐसे हालातों में जब कभी बड़ी आग लगती है तो फायर ब्रिगेड की दमकल फेल हो जाती है, तब सेना की दमकल गाडिय़ों का सहारा लेना पड़ता है। इन गंभीर हालातों के बावजूद अफसर कह रहे हैैं जो कमी है उसको पूरा करने के लिए शासन को लिखा गया है। वहां से मदद मिलने पर ही पर्याप्त इंतजाम किए जा सकेंगे।

28 दिन में 22 जगह आग लगी
गर्मी की तपिश इस वक्त तन को झुलसाए दे रही है। ऐसी दहकती गर्मी के दौरान आग लगने की घटनाएं भी लगातार हो रही है। पिछले 28 दिनों यानी 17 मार्च के बाद की बात करें तो आग लगने की खबर लगभग रोज आ रही है। इस दौरान रिकार्ड में 22 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में आग ने कहर बरपा दिया है। सैकड़ों बीघा फसल जल कर राख हो गई। इस दौरान दो लोगों की जिंदगी भी आग की भेंट चढ़ गई। आग लगने पर तत्काल फायर ब्रिगेड की मदद न मिलने से छोटी आग भी विकराल हो गईं। इस दौरान करीब एक करोड़ से अधिक की संपत्ति खाक हो गई।

जनसंख्या दस गुनी, इंतजाम पुराने
शहर में अगर फायर ब्रिगेड के इंतजामों की बात करें तो जब शहर बसाया गया था, उस समय की जनसंख्या और इंडस्ट्रीज के हिसाब से फायर इंजन और फायर ब्रिगेड कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। आज शहर की जनसंख्या दस गुनी हो गई है। लेकिन इंतजाम अभी भी वही हैैं। हालांकि फायर विभाग में कुछ नए उपकरण पिछले वर्षो में आए, लेकिन रखरखाव न होने से वह सब बर्बाद होकर कबाड़ हो गए।

गलियों में दमकल नहीं जा पाती
2022 में कानपुर की जनसंख्या लगभग 53 लाख से ज्यादा है। जब शहर बसाया गया था तो कानपुर में हाईराइज बिल्डिंग नहीं थीं। इतनी संख्या में छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज भी नहीं थीं। जनसंख्या भी काफी कम थी। पुराने समय में आग बुझाने के लिए मौके पर पानी मिल सके। इसके लिए शहर में 350 स्थानों पर वॉटर हाईडें्रट्स लगाए गए थे। समय बीतने के साथ ही इन हाईड्रेंट्स को नीचे दबा दिया गया और उसके ऊपर सड़क बना दी गई। जिससे इनका अस्तित्व ही खत्म हो गया। साथ ही शहर में अतिक्रमण की वजह से चौड़ी सड़कें संकरी गलियों में बदल गईं। ऐसे में जब इन क्षेत्रों में कभी आग लगती है तो दमकल गाड़ी मौके तक नहीं पहुंच पाती। दूर कहीं दमकल खड़ी करके पाइप के जरिए आग बुझाने का काम शुरू किया जाता है।

Posted By: Inextlive