जनवरी 2010 में जब दुनिया की सबसे ऊँची इमारत बुर्ज दुबई का अनावरण हुआ तो अंतिम क्षणों में इसका नाम बुर्ज खलीफा कर दिया गया.

ये नाम अबू धाबी के शाही परिवार का संकेत दे रहा था जिसने अपने पड़ोसी को बीस अरब डॉलर कर्ज की मदद दी थी। दुबई में आर्थिक संकट के कुछ ही हफ्तों बाद 828 मीटर ऊँची इस इमारत के सुखद अनावरण का बहुत ही बुरा वक्त था। इस गगनचुंबी होटल की इमारत में 900 विलासितापूर्ण अपार्टमेंट और 37 मंजिलें दफ्तरों के लिए थीं। आज इस भव्य इमारत के सभी कमरे पूरी तरह से खाड़ी के देशों और कुछ अन्य जगहों के मेहमानों से भरे हुए हैं।

पर्यटन का रोमांचपर्यटक इस इमारत की 124वीं मंजिल पर भ्रमण के लिए चार सौ दिरहम यानी करीब 108 डॉलर तक खर्च करने से नहीं हिचकिचाते। दरअसल, यहां से रेगिस्तान का अद्भत नजारा और शायद टॉम क्रूज की मिशन इंपॉसिबल फिल्म सरीखी तस्वीरें लेने का रोमांच पर्यटकों को बहुत लुभाता है।

इसीलिए दुबई में प्रॉपर्टी की कीमतों में आई बड़ी गिरावट के बावजूद इस इमारत के करीब अस्सी प्रतिशत लक्जरी फ्लैट हमेशा भरे रहते हैं। यही नहीं, इनकी कीमतों में भी पिछले साल दस प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन दफ्तर की जगह के बारे में स्थिति ऐसी नहीं है।

इमारत को बनाने वाली कंपनी ने इस बारे में कोई आधिकारिक आँकड़ा तो नहीं जारी किया है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में जबकि इमारत पूरी बनी भी नहीं थी, तब इसकी सभी मंजिलें बिक चुकी थीं। बावजूद इसके इमारत में दफ्तर की दो तिहाई जगह यानी करीब बीस मंजिलें खाली पड़ी हैं।

महँगा किरायादफ्तर की जगहें क्यों खाली पड़ी हैं, इसकी बड़ी वजह मँहगा किराया होना बताया जा रहा है। मध्य पूर्व के प्रॉपर्टी विशेषज्ञ एलन रॉबर्ट्सन का कहना है कि इस इमारत से महज पचास मीटर की दूरी पर दफ्तर की जगह इसकी आधी कीमत पर आसानी से मिल जाती है।

उनके मुताबिक इस इमारत की डिजाइन भी ऐसी है कि इसमें मंजिलों की जगह सीमित है। रॉबर्ट्सन कहते हैं कि बड़ी कंपनियों को अपने दफ्तर के लिए कई मंजिलों की जरूरत होती है। यहां एक और दिक्कत ये है कि हर मंजिल का मालिक एक अलग व्यक्ति है।

रॉबर्ट्सन कहते हैं, “बुर्ज खलीफा एक वैश्विक प्रतीक है और एक शानदार पता है। लेकिन ये बहुराष्ट्रीय कंपनियों की उन जरूरतों को पूरा नहीं करती जो आजकल वो चाहती हैं.” उनका कहना है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां व्यापार के अनुकूल दफ्तर की जगह चाहती हैं, भड़कीलापन उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर नहीं रहता।

हालांकि कुछ मालिक बिना किरायेदारों के भी खुश हैं। उनके मुताबिक ये लंबे समय में निवेश का एक अच्छा जरिया है और उन्हें उम्मीद है कि यहां निवेश करने का लाभ जरूर मिलेगा। लेकिन कुछ लोग अपने दफ्तर की जगहों को बेचने की भी कोशिश कर रहे हैं। पिछले महीने एक व्यक्ति ने एक अमरीकी वेबसाइट पर अपने फ्लोर को दो करोड़ दिरहम में बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। इस इमारत की मंजिलों की बिक्री को देखने वाली कंपनी एलएफसी को उम्मीद है कि आने वाले कुछेक सालों में और भी मंजिलें बिक्री के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराएंगी।

Posted By: Inextlive