नेशनल शुगर इंस्टीटयूट और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च आईसीएआर मिलकर देश में एथेनाल के उत्पादन को बढ़ाने का काम करेंगे. आईसीएआर से जुड़े केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान तिरुअनंतपुरम के साथ एनएसआई कसावा से एथेनाल के प्रोडक्शन के लिए मिलकर काम करेगा. मंडे को इस बाबत दोनों संस्थानों के डायरेक्टर्स और एक्सपर्ट्स की वीडियो कान्फ्रेंङ्क्षसग से बात हुई.

कानपुर (ब्यूरो) एनएसआई के डायरेक्टर प्रो। नरेंद्र मोहन ने बताया कि सरकार पेट्रोल में एथेनाल की ब्लेडिंग को बढ़ाने के लिए एथेनाल उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। पेट्रोल में 15 परसेंट तक एथेनॉल की ब्लेडिंग करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए शुगर इंडस्ट्री व अनाज के अलावा अन्य विकल्पों पर ध्यान दिया जा रहा है। अब कसावा से एथेनाल उत्पादन की तकनीक डेवलप करने की कोशिश की जा रही है.मंडे को सीटीसीआरआई की डायरेक्टर डा। एमएन शीला से इस बाबत बात की गई।

कार्बोहाइड्रेड का बड़ा सोर्स
एनएसआई के एक्सपर्ट्स के मुताबिक कसावा ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक पौधा है, जिसकी मोटी जड़ आलू की तरह होती है। जिसमें काफी स्टार्च होता है। चावल और मक्के के बाद यह दुनिया में कार्बोहाइड्रेट का तीसरा बड़ा सोर्स है। यह केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और नार्थ वेस्टर्न स्टेट्स में उगाया जाता है। इसका प्रयोग स्टार्च व साबूदाना के उत्पादन में किया जाता है।

एक से आधा किलो एथेनाल
कई स्टडीज में सामने आया है कि प्रति किलो कसावा के स्टार्च से 550 ग्राम तक एथेनाल हासिल हो सकता है। इसे लेकर जल्द पायलट प्रोजेक्ट के तहत टेस्टिंग शुरू होगी। अगर एथेनाल का प्रोडक्शन फायदेमंद रहता है तो देश के उन हिस्सों में भी इसे उगाने की कोशिश की जाएगी, जहां अभी इसका उत्पादन नहीं होता है।

Posted By: Inextlive