10 अलग-अलग फ्लेवर की बियर बनाना सीख रहे स्टूडेंट
कानपुर(दिव्यांश सिंह)। अगर आप भी बीयर पीने के शौकीन हैं लेकिन बाजार में सिर्फ रेगुलर, एक या दो फ्लेवर वाली फ्रुट बीयर ही मिलती है तो आपके लिए गुड न्यूज है। अगर आपको दस अलग अलग टेस्ट में बीयर पीने को मिले तो कैसा लगेगा। सिर्फ फ्लेवर ही नहीं बल्कि रंग भी अलग अलग होंगे। कल्याणपुर स्थित नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) में स्टूडेंट्स को 10 तरह की बीयर बनाने की रेसिपी सिखाई जा रही है। बीयर के क्षेत्र में 10 रेसिपी खोजने को एनएसआई का इनोवेशन कहा जा रहा है।
कॉफी, गुड़ और चॉकलेट टेस्ट
नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट में कॉफी, चाकलेट और गुड़ समेत 10 अलग अलग टेस्ट वाली बीयर को बनाया जा रहा है। सबसे इंपार्टेंट बात यह है कि इन बीयर्स के टेस्ट को बनाने में किसी भी केमिकल का यूज नहीं किया गया है। सभी टेस्ट को बनाने के लिए जैविक उत्पादों का यूज किया गया है। इनको पीने से शरीर का तंत्र रेगूलर बियर के जैसा ही रहेगा। इस काम को करने के लिए एनएसआई कैंपस में ग्राउंड फ्लोर पर 50 लाख कीमत से ऑटोमैटिक बियर यूनिट को लगाया गया है।
इन चीजों से मिलकर बनती
रेगूलर बीयर को बनाने के लिए चार तरह की चीजों की जरूरत पड़ती है। इनमें जौं (माल्ट), खमीर (यीस्ट), हाप्स और आरओ वाटर की जरूरत पड़ती है। इन सब चीजों को एक प्रोसेस से गुजारने के बाद बीयर तैयार होती है। बीयर में टेस्ट लाने का काम हाप्स नाम का फ्रूट करता है। यह फ्रूट नार्थ अमेरिका और यूरोप जैसे ठंडे देशों में पाया जाता है। हालांकि अब इस फ्रूट का हिमाचल में भी प्रोडक्शन होने लगा है। रेगूलर बीयर में एनएसआई ने एक रिसर्च के बाद टेस्ट बदलने के लिए जैविक चीजों को मिलाया है।
10 तरह की अलग अलग बीयर में केवल स्वाद की ही विविधता नहीं है। बल्कि इनके रंग भी अलग अलग हैं। इनमें पीला, मरुन, लाल और भूरा समेत कई रंग है। बीयर मग में लेने के बाद इसकी ब्यूटी भी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
ऐसे तैयार की जाती है बीयर
सबसे पहले माल्ट मिल में जौं का आटा तैयार किया जाता है। इसके बाद के सभी प्रोसेस ऑटोमैटिक होते हैं। जौं का आटा और गर्म पानी को मैश कैटल में डालकर इसका पेस्ट तैयार होता है। अगले स्टेप में वार्ट कैटल में खमीर और फ्लेवर को डाला जाता है। इसके बाद वर्लपूल कैटल में छिलके और पानी को अलग अलग करने का प्रोसेस होता है। अगले स्टेप में फर्मंटेशन टैंक में यीस्ट की प्रापर्टीज जौं की शुगर को अल्कोहल में चेंज कर देता है। इस प्रोसेस में फर्मंटेशन टैंक से सीओटू निकलती है। जब सीओटू निकलना बंद हो जाती है, उसके बाद रॉ बीयर रेडी हो जाती है। इसको फिल्टर के बाद स्टोरेज टैंक में ग्लाइकोल कूलिंग (5 डिग्री सेल्सियस) में रखा जाता है। टैंक से टोटी के सहारे बीयर को पैकेजिंग या पीने के लिए लगा सकते हैं।
2 - ब्लोंड एले
3 - हेफेवीजेऩ
4 - पेल एले
5 - आईपीए
6 - अंबर एले
7 - आईरिश रेड एले
8 - ब्राउन एले
9 - पोर्टर
10 - स्टॉउट
स्टूडेंट्स को 10 तरह की बियर बनाने की रेसिपी सिखाई जा रही है। इस तरह से हमने रेगूलर बियर का वैल्यू एडिशन किया है। बियर की रेसिपी तैयार करने में किसी भी केमिकल का यूज नहीं किया है।
प्रो। नरेंद्र मोहन, डायरेक्टर, एनएसआई