अगर आपकी समस्या थानेदार या एसीपी नहीं सुन रहे हैं तो आपको अपनी समस्या लेकर डीसीपी एडीसीपी के ऑफिस जाकर लाइन लगाने की जरूरत नहीं है.बल्कि ये आईपीएस अफसर अब खुद आपकी समस्या सुनने आएंगे. जी हां शासन ने हर पीडि़त को समय से न्याय दिलाने के लिए पारदर्शिता और रिश्वतखोरी रोकने का ब्लू प्रिंट तैयार किया है. जिसके मुताबिक सप्ताह में एक पुलिस अधिकारी आपके क्षेत्र यानी एसीपी ऑफिस आएंगे और आपकी शिकायत न सिर्फ सुनेंगे बल्कि निस्तारण की भी पूरी कोशिश करेंगे. साथ ही कार्रवाई न करने वाले अफसरों की क्लास भी मौके पर ही लेंगे.

कानपुर (ब्यूरो) मुख्य रूप से जमीन विवाद और फाइनेंशियल फ्रॉड की शिकायतों के निस्तारण के लिए शासन ने इस तरह का ब्लू प्रिंट बनाकर हर जिले के सीनियर ऑफिसर्स को सौंप दिया है। इसकी जानकारी मिलने के बाद कानपुर कमिश्नरेट में भी तैयारी शुरू कर दी गई है। शिफ्ट चार्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कानपुर कमिश्नरेट में पुलिस कमिश्नर, जेसीपी, डीसीपी और एडीसीपी चार ग्रेड के ऑफिसर्स हैैं। इनका अलग-अलग दिन शिकायतें सुनने के लिए निर्धारित होगा।

4 दिन सुनवाई, 2 दिन निस्तारण
हर एसीपी ऑफिस में एक अधिकारी सप्ताह के शुरू के चार दिन तक शिकायतें सुनेंगे। अगले दो दिन शिकायतों के निस्तारण का दिन होगा। आपके शिकायती पत्र पर लिखे मोबाइल नंबर पर आपको जानकारी दी जाएगी कि आपकी शिकायत पुलिस से संबंधित है या किसी और विभाग से। पुलिस से कितनी शिकायत संबंधित है? ये भी बताया जाएगा। आपकी शिकायत के निस्तारण में कितना समय लगेगा? ये भी बताया जाएगा। शिकायतों का निस्तारण कितने दिन में होगा? ये शिकायत करने के दौरान ही बता दिया जाएगा।

फरियादी को ये होती है समस्या
कई मामले ऐसे सामने आए, जिनमें अधिकारियों के ऑफिस से तमाम फरियादी खाली हाथ वापस आ गए। शिकायत सुनने के दौरान कंपलेंट डेस्क पर मौजूद पुलिसकर्मी शिकायत सुनने के बाद संबंधित थाने के पुलिस अधिकारी को फोन पर जानकारी दे देता है। इसके बाद देर शाम तक पैरोकार संबंधित थाने में शिकायत लेकर पहुंचता है। जहां थानेदार या चौकी इंचार्ज की मौजूदगी पर निर्भर करता है कि आपकी शिकायत सुनी जाएगी या नहीं। आम तौर पर चौकी इंचार्ज या थानेदार इलाके में गश्त पर होते हैैं और शिकायत सुनने के लिए कोई आरक्षी तैनात कर दिया जाता है। जिसे शिकायत की गंभीरता की अंदाजा भी नहीं होता है।

ऑनलाइन शासन से मॉनीटरिंग
शासन के निर्देश के मुताबिक इस पूरे कंपलेंट सेल की मॉनीटिरिंग ऑनलाइन होगी। दो घंटे मेें सुनी गई हर शिकायत को कंपयूटर मेें दर्ज कर सीसीटीएनएस से जोड़ा जाएगा। पीडि़त की शिकायत का निस्तारण होने तक शासन से नियुक्त किया गया पुलिस कर्मी इस शिकायत की मॉनीटरिंग करेगा। इसकी जवाबदेही जिलों में तैनात सीनियर पुलिस अधिकारी की होगी।

आम लोगों को मिलेगी ये मदद
- अधिकारियों के ऑफिस तक आपको चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
- दलालों से मुक्ति मिलेगी, हर पीडि़त की पहुंच अधिकारियों तक होगी।
- ज्यादातर शिकायतों में मौके पर मिलेगा न्याय, निराश नहीं लौैटना होगा
- आप अपनी समस्या को खुलकर बता सकेंगे
- शिकायत के दौरान आईपीएस अधिकारी और केवल एक मुंशी होगा।
- पहले से मिलेगी जानकारी, कौन सा अधिकारी कहां और कब बैठेगा?
- फाइनेंशियल फ्रॉड और जमीनी विवाद प्रमुखता से सुने जाएंगे।
- शासन के इस प्रयास से मोहल्ला स्तर के गुंडों की संख्या कम हो जाएगी।
- शासन का मानना है कि इस प्रयास से अपराध का ग्राफ कम होगा।

सभी जिलों की पुलिस को लोगों की शिकायत सुनने और निस्तारण के आदेश दिए गए हैैं। सीनियर ऑफिसर्स की जिम्मेदारी तय की गई है। इससे अधिकारियों के ऑफिस में लगने वाली भीड़ कम होगी।
प्रशांत कुमार, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर

Posted By: Inextlive