कचहरी का माहौल फिर 'चुनावी'
- बार एसोसिएशन के चुनाव के बाद अब लायर्स चुनाव को लेकर फिर लगने लगी कौन जीतेगा कौन हारेगा की गणित
- वादकारी को कोई नुकसान न हो इसका भी रखा जाता है पूरा ध्यान, कैंडिडेट्स ले रहे आगे की डेट KANPUR: बार एसोसिएशन के इलेक्शन के रिजल्ट घोषित किए जा चुके हैं। जीते हुए पदाधिकारी जहां समर्थकों से मिलने में व्यस्त हैं.वहीं हारे कैंडिडेट्स क्यों हारे इस पर मंथन कर रहे हैं.अब लायर्स इलेक्शन को लेकर कचहरी का माहौल फिर चुनावी होने लगा है। यहां तक की कैंडिडेट चुनाव को देखकर अपने मुवक्किल के लिए आगे की डेट ले रहे है। ऐसा इसलिए कि वह इलेक्शन की ठीक से तैयारी कर सकें। कामकाज पर पड़ता असरचुनाव के दौरान कैंडिडेट और समर्थक चुनावी रणनीति बनाने और प्रचार में जुटते हैं जिसके चलते कामकाज भी प्रभावित होता है। और कैंडिडेट्स के वादकारियों के लिए डेट लेना ही दूसरा विकल्प होता है। उपर दिए दो मामले इसी का उदाहरण हैं। दरअसल चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के चलते कैंडिडेट और उनके समर्थक अधिवक्ता विधि कार्य में समय नहीं दे पाते। कचहरी में जब-जब चुनाव होता है, कमोवेश वादकारियों के लिए यह स्थिति बन जाती है।
मुकदमा चुनाव बाद दािखल करेंगेनजीराबाद के आयुष निगम का संपत्ति विवाद का मामला है। उन्होंने अपने अधिवक्ता से मुकदमा दाखिल करने के लिए कहा। अधिवक्ता ने नोटिस भेज दिया लेकिन मुकदमा चुनाव बाद दाखिल करने को कहा है।
चुनाव की बात कहकर आगे की डेट लालबंगला निवासी वसीम चेक बाउंस में आरोपित हैं। इस मामले में उन्हें जवाब लगाना है। अधिवक्ता ने पहले दीवाली बाद बयान कराने की बात कही, फिर चुनाव होने की बात कहकर लंबी तारीख ले ली। ''इलेक्शन लड़ रहे कैंडिडेट का सब कुछ दांव पर लगा होता है। ऐसे में उनका ध्यान चुनाव पर ही रहता है। इसलिए समय नहीं दे पाते लेकिन वादकारी का कोई नुकसान न हो, इसका भी पूरा ध्यान रखा जाता है.'' -सत्येंद्र द्विवेदी, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन ''व्यवहारिकता में कहा जाए तो यह बात काफी हद तक सही है। हालांकि यह स्थिति सप्ताह भर से ज्यादा नहीं होती। वादकारियों के मुकदमों में छोटी तारीख लेना कैंडिडेट के लिए मजबूरी होता है.'' - सर्वेश कुशवाहा, पूर्व महामंत्री बार एसोसिएशन