नोडल अफसर और रिटेलर कर रहे सिम का फर्जीवाड़ा
- शहर में बड़ी संख्या में जारी हो रहे हैं फर्जी आईडी पर, एक ही फोटो पर फर्जी नाम पते से बेचे गए 30-30 सिम
- नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनियों के अधिकारी हुए एक्टिव, 24 घंटे में शहर के तीन थानों में तीन मुकदमे दर्ज कराएkanpur : शहर में फर्जी आईडी पर बड़ी संख्या में सिम जारी किए जा रहे हैं। इसके पहले प्रिएक्विेटेड सिमों से शातिरों ने कई वारदातों को अंजाम दिया था। रेल बाजार थाना क्षेत्र में पकड़ा गया पैरेलेल टेलीफोन एक्सचेंज हो या शहर की बड़ी वारदातें। इन सभी में या तो प्रिएक्टिवेटेड सिम इस्तेमाल किए जा रहे हैं या फर्जी आईडी पर लिए गए सिम। खाकी की बढ़ती सख्ती को देख नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनियों ने इसे गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। कंपनी के अधिकारियों ने बीते 24 घंटों में शहर के तीन थानों में तीन मुकदमे दर्ज कराए हैं।
ऐसे होता है फर्जी िसम का खेलसिम लेने में केवल रिटेलर और नोडल ऑफिसर का मुख्य रोल होता है। रिटेलर रुपये का लालच देकर कंपनी के नोडल ऑफिसर को फंसा लेता है और वह ओके की रिपोर्ट लगा देता है। हालांकि कुछ महीने पहले से कंपनियों ने नोडल ऑफिसर के कस्टमर केयर नंबर जारी कर दिए हैं। एक्टिवेटेड सिम खरीदने के प्रोसेस पर रोक लगाने की कोशिश की गई है। इसके बाद भी लगातार फर्जी आईडी पर सिम जारी करने का खेल जारी है।
फर्जी आइडी पर जारी करवाए 139 सिम एक नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी को बर्रा में दुकानदार की ओर से 11 दिन में फेक आइडी से 139 सिमकार्ड जारी कराए जाने की जानकारी हुई थी। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कंपनी ने दुकानदार के खिलाफ बर्रा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है.लखनऊ से यहां जांच के लिए आए कंपनी अधिकारी कौशलेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि संतोष कुमार गौतम बर्रा-दो बी-ब्लाक दारोगा चौराहा के पास टेलीकॉम की दुकान चलाता है। उसने एक से 11 जनवरी के बीच फर्जी आईडी पर 139 सिमकार्ड जारी कराए हैं। इसमें एक-एक फोटो पर फर्जी नाम व पते के आधार पर 30-30 सिमकार्ड के फार्म भरे थे। फार्म में दर्ज मकान नंबर और आधार नंबर भी फर्जी निकला। सब रिटेलर के खिलाफ रिपोटर्1 दर्जनौबस्ता पुलिस को नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी ने बताया कि उनकी कंपनी के 79 सिम फर्जी आईडी से जारी किए गए हैं। कंपनी के अधिकारी शिवम गोस्वामी की तहरीर पर दो सबरिटेलरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पहले सब रिटेलर की दुकान सैनिक चौराहे के पास है। शिवम के मुताबिक 1 जनवरी से 28 फरवरी के बीच ये फर्जीवाड़ा किया गया है। ये सभी सिम किसी की फोटो तो किसी का नाम पर जारी किए गए थे। वहीं एक नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी ने गोविंद नगर थाने में सनी टेलीकॉम, सुरूचि कम्युनिकेशन और बग्गा ट्रेडर्स के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। तीनों जगह से बेचे गए 48 सिम को बंद करा दिया गया है।
बहुत से सवाल उठते हैं। - आखिर ये सिम क्यों जारी कराए गए? - फाइनल इनवेस्टिगेशन में किसने ओके की रिपोर्ट लगाई? - ये सिम कौन और किस लिए इस्तेमाल कर रहा था? - जिस आईडी पर सिम जारी हुए, वे कहां से बनाई गईं? - रिटेलर की सिम बेचने में क्या भूमिका है? - नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनियों को पहले जानकारी क्यों नहीं हुई? सिमकार्डो का ब्योरा जुटा रही पुलिसएसपी साउथ ने बताया कि पुलिस दुकानदारों की ओर से फर्जी आइडी पर अब तक जारी कराए गए सिमकार्डो का ब्योरा जुटा रही है। इन नंबरों को ट्रेस करने के लिए सर्विलांस टीम की भी मदद ली जाएगी। फिलहाल कुछ नंबरों की सीडीआर भी निकलवाई जा रही है। लोकेशन ट्रेस करके नंबरों की बरामदगी के प्रयास किए जाएंगे।
सिम जारी होने की प्रक्रिया - रिटेलर के पास अपना ओरिजिनल आधार कार्ड लेकर जाना पड़ता है। - रिटेलर कस्टमर की फोटो खींचता है और उसे साफ्टवेयर में लोड करता है - एक अल्टरनेट नंबर भी देना पड़ता है। एक ओटीपी अल्टरनेट नंबर पर आता है। - रिटेलर आपकी फोटो और ओटीपी कंपनी के नोडल ऑफिसर को भेजता है - इस प्रक्रिया के 15 मिनट बाद आपका नया नंबर चालू होता है। - एक दिन में एक आईडी पर केवल दो सिम जारी हो सकते हैं - तीसरा सिम जारी कराने के लिए कस्टमर को एक लेटर रिटेलर को देना होता है। फर्जी सिम के मामले में पुलिस की टीमों के अलावा खुफिया को भी लगाया गया है। जल्द ही बड़े रैकेट का खुलासा होगा। डॉ। प्रीतिंदर सिंह, डीआईजी/ एसएसपी कानपुर