'मुंबई हमलों के पीछे नही है जमात-उद-दावा'
उन्होंने कहा कि भारत को कश्मीर से अपना फौज़ी कब्ज़ा छोड़ना चाहिए और अगर भारत कश्मीर छोड़ दे तो सारे मसले हल हो सकते हैं।
सईद ने भारत को सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्ज़ा दिए जाने के पाकिस्तान के फ़ैसले की भी आलोचना की और कहा कि इससे पाकिस्तान को नुकसान होगा।बीबीसी से एक लंबी बातचीत में हफीज़ सईद का कहना था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत ज़रुरी है लेकिन इसके लिए पहले भारत कश्मीर से अपना कब्ज़ा हटाए और आक्रामक रवैय्या छोड़े।बातचीत के प्रमुख अंशभारत-पाकिस्तान संबंधों पर आपकी क्या राय है। क्या बातचीत नहीं होनी चाहिए.बातचीत का हम भी समर्थन करते हैं और मुद्दों को सुलझाने के लिए मिल कर बैठना चाहिए, नतीजे पर पहुँचना चाहिए यह बात बहुत ज़रुरी है लेकिन भारत का रवैय्या बहुत की आक्रामक है। कश्मरी में केवल उन्होंने फौजी कब्ज़ा किया हुआ था, इस वक़्त तो भारत ने कश्मीर को जंगी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
बातचीत ज़रुरी है लेकिन भारत ऐसा क़दम उठाए जिससे लगे कि वह पाकिस्तान का दुश्मन नहीं बल्कि उसका दोस्त है। बातचीत होनी चाहिए लेकिन सब मुद्दों पर और भारत तो कश्मीर पर बात नहीं करता है। मैं समझता हूं कि भारत के पास वह शक्ति और हिम्मत नहीं है कि वह कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करे।
भारत हमेशा दुष्प्रचार कर रहा और शोर मचाता रहा है। अगर वह घुसपैठ की बात करता है तो सरबजीत सिंह कहाँ से आया था, पाकिस्तान में सैंकड़ों ऐसे मामले सामने आए हैं और कई भारतीय जेलों में बंद हैं, जिन्होंने माना है कि उन्होंने अवैध रुप से सीमा पार की थी। मैं यह समझता हूँ कि अगर कश्मीर के लोग एक दूसरे के पास आते हैं और जाते हैं तो यह घुसपैठ बिल्कुल नहीं है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं है बल्कि नियंत्रण रेखा है। मैं इसको घुसपैठ नहीं मानता हूँ क्योंकि कश्मीर एक है। घुसपैठ तो वह है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में किया था और फिर पूर्वी हिस्से को पाकिस्तान से अलग कर दिया।
भारत बार बार कहता रहा है कि पाकिस्तान से चरमपंथी हमले होते हैं.पाकिस्तान में कोई आतंकवादी नहीं है, न इसकी कोई हक़ीक़त है और न भारत के पास इसका कोई सबूत है लेकिन अफसोस है कि जो कुछ भी होता है तो पाकिस्तान पर आरोप लगा दिया जाता है। पाकिस्तान में ऐसा कोई संगठन नहीं है जो भारत पर हमला करे। भारत को अपना रैवया ठीक करना चाहिए। भारत अपने आंतरिक मामलों पर ध्यान दे।मुंबई हमलों के बारे में क्या कहेंगेभारत ने मुंबई हमलों के संबंध में चार बार सबूत भेजे हैं, जब वह यहाँ आए तो पाकिस्तान की अदालतों में वह सब कुछ पेश किया गया। करीब छह महीने तक लाहौर हाई कोर्ट में यह मामला चलता रहा और अदालत ने फ़ैसला लिया कि पाकिस्तान की कोई संस्था इसमें लिप्त नहीं है और जमात-उद-दावा का इसमें कोई हाथ नहीं है। अदालत ने मेरा और मेरे साथियों का नाम ले कर हमकों उस मुकदमे से बरी कर दिया और अदालत ने कहा कि भारत के सभी सबूत अदालत में पेश करने के काबिल नहीं हैं।
पाकिस्तान ने भारत को सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा दिया हैभारत को सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा दे कर पाकिस्तान को मंडी बनाने की कोशिश की जा रही है। इस पर भी हमें बहुत चिंता हैं कि क्योंकि वह सामान्य व्यापार का मामला नहीं है। पाकिस्तान के अंदर से उसके कंटेनर गुज़रेंगे और अफ़ग़ानिस्तान तक पहुँचने का उस के लिए रास्ता बनाया जा रहा है और पाकिस्तान के केवल एक रस्ते के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। हम समझते हैं कि अगर यह मामला इस तरह रहा तो यह पाकिस्तान की संप्रभुत्ता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है।लेकिन इससे तो पाकिस्तान को भी लाभ होगामैं नहीं समझता कि उसके पाकिस्तान को कोई फ़ायदा होगा क्योंकि मेरा पास आँकड़े मौजूद है कि पाकिस्तान के साथ भारत का अब तक का जो व्यापार हुआ है वह पाकिस्तान के लिए घाटे में रहा है और हमें इससे कोई फ़ायदा नहीं होगा। व्यापार अगर बराबरी की बुनियाद पर हो तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है।
पानी के मुद्दे पर भी आपको आपत्तियां रही हैं.भारत पाकिस्तान का पानी रोक रहा है और पहले तो नदियों पर इतने बाँध नहीं थे, अब तो 295 के करीब बाँध बना रहा है। इससे भारत को आर्थिक रुप से फ़ायदा होगा जबकि पाकिस्तान को काफ़ी नुक़सान होगा क्योंकि पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र बुरी तरह तबाह हो जाएगा।आपकी नाराज़गी अमरीका से भी रही हैअमरीका और उसके सहयोगी देश हमारे लिए लगातार ख़तरा बने हुए हैं। पहले ड्रोन हमले किए गए और उसके बाद पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर हमला किया और फ़िर ड्रोन का जारी रहना, हम समझते हैं कि यह चीज़ें बहुत बड़ी चिंता का विषय है और हम समझते हैं कि अमरीका का एजंडा है कि वह पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला करे और उसे परमाणु शक्ति छीन ले।दूसरी ओर भारत ने हमेशा पाकिस्तान के ख़िलाफ़ योजनाएँ बनाईं, साज़िशें की, पूर्वी पाकिस्तान को अलग किया और पाकिस्तान में अपनी साज़िशें जारी रखीं ख़ासतौर पर 911 के हमलों के बाद जब अमरीका अफ़ग़ानिस्तान में घुसा तो भारत को भी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ साज़िशें करने का मौका मिला।