पुलिस की लैंग्वेज: जर्जर बैरक गिरी पर रिसपांसिबल कोई नहीं
- दो महीने पांच दिन बाद एसपी वेस्ट ने जांच रिपोर्ट आलाधिकारियों को सौंपी
- अपनी रिपोर्ट में एसपी वेस्ट ने बताया बिल्डिंग को जर्जर, उठे तमाम सवाल > KANPUR : पुलिस लाइन में बैरक नंबर एक की छत गिरने के मामले में जांच के नाम पर सिर्फ फॉर्मेलिटी की गई। सिपाही की जान चली गई पर अफसरों को सौंपी गई रिपोर्ट में किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। जांच में बिल्डिंग को जर्जर बता हादसा माना गया है। सवाल उठ रहे हैं कि अगर ऐसा था तो पुलिसकर्मियों को मौत के साये में क्यों रखा गया था? पुलिस लाइन की रिपेयरिंग के लिए हर साल फंड आता है। उस फंड से मरम्मत क्यों नहीं की गई? और मरम्मत की गई तो दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? अगर बिल्डिंग कंडम थी तो उसे समय रहते कंडम घोषित क्यों नहीं किया गया? 24 अगस्त की घटना24 अगस्त को पुलिस लाइन में एक बैरक की छत ढह गई थी। हादसे में मैनपुरी के लालपुर बेवर निवासी अरविंद सिंह की मौत हो गई थी। इसके अलावा तीन अन्य सिपाही राकेश, अमृतलाल और मनीष घायल हो गए थे। घटना के बाद डीआईजी ने एसपी पश्चिम को मामले की जांच सौंपी थी। एसपी पश्चिम डॉ। अनिल कुमार ने जांच पूरी कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी है। जांच में पीडब्ल्यूडी के विशेषज्ञों को भी शामिल किया था। जिसके आधार पर जांच की गई। हवाला दिया गया है कि बिल्डिंग 105 वर्ष पुरानी थी। पूरी तरह से जर्जर हो गई थी। इस वजह से हादसा हुआ। इसी आधार पर जांच अधिकारी ने मामले को रफादफा कर दिया।
अपनों को आसानी से बचाया जर्जर बिल्डिंग में पुलिसकर्मियों को किसने रखा? बिल्डिंग की मरम्मत कराने की जिम्मेदारी किसकी है? जांच में इन तथ्यों को शामिल ही नहीं किया गया। अगर जांच में ये तथ्य शामिल होते तो दोषी भी आसानी से मिल जाते। कुल मिलाकर सोर्सेस का कहना है कि पुलिस ने अपने लोगों को आसानी से बचा लिया।