आमतौर पर लोग मानते हैं कि अधिक गुटखा खाने वालों और शराब पीने वालों को ही गले का कैंसर होता है. लेकिन यह सही नहीं है. क्योंकि जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में गले के कैंसर वाले पेशेंट लगातार पहुंच रहे हैं. चिंता वाली बात यह है कि इनमें 25 परसेंट पेशेंट ऐसे हैं जिन्होंने अपनी पूरी लाइफ में कभी भी कोई नशा नहीं किया है. न सिगरेट पी न पान मसाले को हाथ लगाया. इसके बावजूद उनके गले में कैंसर डायग्नोस हुआ है.

कानपुर (ब्यूरो)। आमतौर पर लोग मानते हैं कि अधिक गुटखा खाने वालों और शराब पीने वालों को ही गले का कैंसर होता है। लेकिन यह सही नहीं है। क्योंकि जेके कैंसर इंस्टीट्यूट में गले के कैंसर वाले पेशेंट लगातार पहुंच रहे हैं। चिंता वाली बात यह है कि इनमें 25 परसेंट पेशेंट ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी पूरी लाइफ में कभी भी कोई नशा नहीं किया है। न सिगरेट पी न पान मसाले को हाथ लगाया। इसके बावजूद उनके गले में कैंसर डायग्नोस हुआ है। डॉक्टर्स के मुताबिक गले के कैंसर के 20 से 25 परसेंट केसेस में कैंसर का कारण अज्ञात है। इसको लेकर रिसर्च जारी है। पेशेंट की केस हिस्ट्री पर स्टडी हो रही है।

एक साल में बढ़े 15 परसेंट पेशेंट
जेके कैंसर में गले के कैंसर से ग्रसित ट्रीटमेंट के लिए आने वाले पेशेंट साल भर में 15 परसेंट बढ़ गए हैं। 2022 में यहां एक साल में 225 पेशेंट गले के कैंसर से ग्रसित आए थे। वहीं 2023 की बात करें तो यह संख्या 260 के आसपास हो गई है। कैंसर इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, गले के कैंसर के 70 परसेंट पेशेंट की केस हिस्ट्री एक जैसी है। जिसका कारण नशा है। वहीं प्रदूषण से कैंसर से ग्रसित होने वाले पेशेंट की संख्या पांच परसेंट है।

महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक
कैंसर का ट्रीटमेंट कराने वाले पेशेंट की औसत आयु 50 से 60 वर्ष के बीच है। अहम बात यह है कि कैंसर की चपेट में आने वालों में महिलाओं की अपेक्षा पुरषों की संख्या ज्यादा है। 70 परसेंट पुरुषों में तो 30 परसेंट महिलाएं गले के कैंसर से ग्रसित हैं।

केस 1: खाने-पीने में हो रही थी दिक्कत
श्याम नगर निवासी 50 वर्षीय व्यक्ति को कभी भी कोई स्वस्थ्य संबंधी दिक्कत नहीं रही। खाने पीने में दिक्कत हुई तो जांच कराने पर उनको गले का कैंसर होने की जानकारी मिली। डॉक्टर भी कैंसर का सही कारण नहीं बता सके। क्योंकि उसके केस में किसी प्रकार का नशा नहीं है।

केस-2: जांच कराई तो कैंसर का पता चला
54 साल की महिला को अचानक खाने पीने में गले व सांस लेने में समस्या होने लगी। पहले तो उन्होंने इसे मौसम और गलत खानपान की इस दिक्कत की वजह समस्या होना समझा। बाद में समस्या बढऩे पर जब उन्होंने जांच कराई तो गले में कैंसर होने की बात स्पष्ट हुई।

इनका बातों का रखें ध्यान
- खाने पीने में गले में समस्या होने पर
- सांस लेते समय ताकत व खिचाव महसूस होना
- थूकते, खांसते समय खून का आना
- आवाज में धीरे-धीरे बदलाव होना
- लंबे समय से कोई गांठ गले में महसूस होना

आंकड़े
- 25 परसेंट पेशेंट जिनको कभी भी नहीं रही कोई समस्या
- 70 परसेंट नशे के कारण बीमारी की चपेट में आए
- 05 परसेंट पेशेंट को कैंसर की वजह प्रदूषण रही
- 70 परसेंट पुरुष तो 30 परसेंट महिलाएं पहुंची ट्रीटमेंट के लिए


गले के कैंसर पेशेंट में इजाफा हुआ है। काफी संख्या में ऐसे पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए आ रहे हैं। जिनको कभी भी कोई हेल्थ प्राब्लम कभी नहीं रही है। ऐसे पेशेंट में कैंसर का कारण अज्ञात है। सबसे ज्यादा कैंसर का कारण नशा है। लक्षण व बचाव के बारे में जानकारी बेहद जरूरी है।
-डॉ। प्रमोद सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, जेके कैंसर इंस्टीट्यूट

Posted By: Inextlive