फेस्टिवल सीजन में शहर में आतंकी वारदात करने की साजिश को एनआईए और एटीएस की टीमों ने नाकाम कर दिया है. टीमों ने बीते 24 घंटे में वाराणसी में पकड़े गए अब्दुल्ला सऊद अंसारी के मंसूबों पर पानी फेरते हुए कानपुर के विभिन्न थाना क्षेत्रों से आधा दर्जन स्लीपर सेल्स को हिरासत में लिया है. इन सभी को एनआईए की टीम दिल्ली के इनवेस्टिगेशन रूम में ले गई है. जहां इनसे गहन पूछताछ की जा रही है. पकड़े गए दो स्लीपर सेल्स के संपर्क में 3 जून को हुए उपद्रव का मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी और बाबा बिरयानी वाले के समेत कई लोग थे. इस छापेमारी के बाद से जो मदरसे एजेंसियों के राडार पर थे उनके जिम्मेदार फरार हो गए है. टीम ने पकड़े गए आरोपियों की बैैंक डिटेल भी निकलवाने के लिए कहा है जिससे इनको होने वाली फंडिंग की जानकारी भी हो सकेगी.

कानपुर (ब्यूरो) एनआईए के सूत्रों की माने तो ऐसा नहीं है कि पकड़े गए आरोपी पहले एक्टिव नहीं थे या लोगों से मिलते जुलते नहीं थे। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि ये लोकल पॉलिटिक्स में अपना अहम योगदान देते थे। लिहाजा इसकी भी पुष्टि हुई है कि इनके संपर्क में लोकल पॉलिटिकल लीडर्स भी थे। अभी एनआईए ने इन्हें टच नहीं किया है। सूत्रों की माने तो जरूरत पडऩे पर इन्हें भी इनवेस्टिगेशन में शामिल किया जाएगा। पकड़े गए लोगों के संपर्क लोकल मुखबिरों से थे, इस वजह से इन्हें कम खतरा रहता था। मुखबिरों को पुलिस की गतिविधि बताने की कीमत भी दी जाती थी।

स्क्रैप कारोबारी भी इनके संपर्क में
पकड़े गए लोगों की कॉन्टैक्ट लिस्ट में जहां कई सफेदपोश लोग हैैं, वहीं शहर के कई कारोबारियों से भी इनका जुड़ाव है। टेनरी कारोबार से पहले ही इनके संपर्क खुल चुके थे, अब स्क्रैप कारोबार से भी इनके संपर्क खुल रहे हैैं। एनआईए सूत्रों का मानना है कि स्क्रैप की आड़ में दीपावली के दौरान मोहल्लों में आतंक का सामान पहुंचाना बहुत आसान होता है। कोई शक भी नहीं करता है, बड़े स्क्रैप कारोबारी से लेकर छोटे स्क्रैप कारोबारी भी इस पूरे ऑपरेशन में शामिल थे। एयर और रोड कनेक्टिविटी स्मूथ होने की वजह से अब्दुल्ला सऊद अंसारी ने कानपुर में आतंक का हेडक्वार्टर बनाने का सपना देखा था, जिसे सुरक्षा एजेंसियों ने ध्वस्त कर दिया।

मददगारों के मोबाइल स्विच ऑफ
एनआईए सूत्रों की माने तो आतंक के इस कारोबार में मददगार शहर के कुछ बिल्डर्स, टेनरी कारोबारी, स्क्रैप कारोबारी और होटल कारोबार से जुड़े लोग हैैं। आतंक के इस कारोबार के मददगार कानपुर से लेकर नोएडा तक फैले हुए हैैं। आतंक से जुड़े लोगों के लिए गाड़ी, आवास और फूडिंग का इंतजाम करने में भी कानपुर के कारोबारियों का नाम सामने आया है। पकड़े गए स्लीपर सेल्स की दिल्ली रवानगी के बाद इन मददगारों के मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गए हैैं।

हयात के साथ दिखा था अब्दुल्ला
एनआईए सूत्रों के मुताबिक तीन जून को कानपुर में हुए उपद्रव के दौरान हयात के साथ दिखने वाले लोगों में कुछ अंजान लोगों के चेहरे भी थे, जो इस शहर के लोगों के लिए बिल्कुल नए थे। इन्हीं चेहरों में एक चेहरा अब्दुल्ला सऊद अंसारी का था। एनआईए पूछताछ में अब्दुल्ला ने तीन जून को कानपुर और पांच जून को लखनऊ और उसके बाद प्रयागराज होने की बाद स्वीकार की है।

कुछ लोगों से सुरक्षा एजेंसियों की टीम पूछताछ कर रही है। अगर उनकी संलिप्तता अब्दुल्ला के साथ पाई जाएगी या आतंक से जुड़े होंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशांत कुमार, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर

Posted By: Inextlive