पानी भरी 'दूसरी धरती'
पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर स्थित ‘जीजे-121-फोरबी’ नाम के इस ग्रह को उन ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें सुपर-अर्थ कहा जाता है। आकार में ये ग्रह हमारी पृथ्वी से कहीं बड़ा है, लेकिन बृहस्पति से छोटा है।
हबल टेलिस्कोप के जरिए इस बात की पुष्टि की गई है कि इस ग्रह पर मौजूद अघिकतर द्रव्यमान पानी है। इस ग्रह का बेहद गर्म होना इस बात का संकेत है कि यहां असाधारण भौतिक पदार्थ हो सकते हैं।हार्वर्ड स्मिथसोनियन खगोल भौतिकी केंद्र के ज़ैकहोर ब्रेटा का कहना है कि ‘जीजे-121-फोरबी’ उन ग्रहों में से नही है जिनके बारे में हम जानते हैं।इस ग्रह की खोज 2009 में जमीनी टेलिस्कोप से की गई थी। लाल रंग का ये ग्रह धरती से बीस लाख किलोमीटर की दूरी पर है। अनुमान है कि इसका तापमान दो सौ डिग्री सेल्सियस से उपर होगा।वाष्प मौजूदइस ग्रह का व्यास पृथ्वी के व्यास का पौने तीन गुना है, लेकिन द्रव्यमान सिर्फ सात गुना है। अगर पृथ्वी के घनत्व के लिहाज से इसे देखा जाए तो इस नए ग्रह का द्रव्यमान लगभग बीस गुना होना चाहिए।
2010 में खगोलविदों ने इसके वायुमंडल से जुड़े तथ्यों के दस्तावेज जारी किए थे। इसमें इस बात के संकेत दिए गए थे कि ‘जीजे-121-फोरबी’ ग्रह का वायुमंडल पानी से बना हो सकता है, लेकिन एक संभावना ये भी जताई गई थी कि इस ग्रह पर कोहरे या धुंध की चादर हो सकती है।
इस ग्रह के अध्ययन के लिए बेट्रा और उनके सहयोगियों ने कैमरे से युक्त हबल स्पेस टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया। जब ये ग्रह कैमरे के सामने से गुजरा तो इस पर गैंसों का मिश्रण के संकेत मिले।शोधकर्ताओं का कहना है कि बार बार अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि ग्रह पर धूल का गुबार नही बल्कि वाष्प मौजूद है। ग्रह के घनत्व की गणना के हिसाब से देखा जाए तो ‘जीजे-121-फोरबी’ पर पृथ्वी से कहीं ज्यादा पानी है। इसका मतलब ये भी हुआ कि इस संसार की आंतरिक संरचना भी हमारे संसार की संरचना से काफी अलग होगी।