Another superb year for Indian boxers as they have booked their position in the coming Olympic showcasing their excellent performance.


इस साल भारतीय मुक्केबाजी में कुछ नए स्टार मुक्केबाज उभर कर सामने आए जिन्होंने ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करके अगले साल होने वाले इन खेलों में अधिक पदक जीतने की उम्मीद को जगाया।  इस साल मुक्केबाजी के बहुत ज्यादा मुकाबले नहीं हुए लेकिन फिर भी भारतीय मुक्केबाजों ने जहां जहां भाग लिया वहां वहां अपनी छाप छोड़ी। विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भी भारत के युवा मुक्केबाजों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपने आगे का रास्ता साफ करने का अपना सफर शुरू किया।  साल के पहले क्वालीफाई टूर्नामेंट से भारत के 19 साल के विकास कृष्णन 69किलो जय भगवान 60किलो मनोज कुमार 64किलो और एक अन्य युवा मुक्केबाज एल देवेंद्रो सिंह 49किलो ने लंदन ओलम्पिक के लिए अपना स्थान पक्का कर लिया।


 क्वालीफाइ करने वाले भारत के चारों मुक्केबाजों ने अपने से मजबूत मुक्केबाजों को हराया जिससे आगे भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बनती है क्वालीफाइ करने के लिए भारतीय मुक्केबाजों को कम से कम क्वार्टर फाइनल तक पहुंचना था। विकास ने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक भी जीता।

मुक्केबाजी के राष्ट्रीय कोच गुरबक्श सिंह संधु ने कहा,‘‘ किसी को उम्मीद नहीं थी कि विश्व प्रतियोगता से भारत के चार मुक्केबाज क्वालीफाइ कर जाएगें क्यों कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। ओलम्पिक से पहले की पिछली विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता से भारत का केवल एक मुक्केबाज ही क्वालीफाई कर पाया था। भारत के चार मुक्केबाजों का ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करना ही इस साल हमारी उपलब्धि है। ’’ भारतीय मुक्केबाजी का एक बडा नाम मिडिलवेट वर्ग के बीजिंग ओलम्पिक खेलों के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज विजेन्द्र सिंह अगले साल भले ही शादी के बंधन में बंधने जा रहे हो लेकिन इस साल मुक्केबाजी में वे उल्लेखनीय योगदान नहीं दे पाए। वह विश्व मुक्केबाजी में वे पहली बाधा भी पार नहीं कर पाए। हालांकि उसने विश्व पुलिस खेलों में स्वर्ण और आस्टे्रलिया में आयोजित अराफुरा प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।  पूर्व नंबर एक मुक्केबाज विश्व चैम्पियनशिप मे खराब प्रदर्शन के कारण अपनी शीर्ष रैंकिंग भी गवां चुके हैं। लंदन ओलम्पिक में जाने के लिए विजेन्दर को अब दूसरी क्वालीफाईंग प्रतियोगिता तक इंतजार करना होगा।भातरीय मुक्केबाजी में एक और नाम रहा जिसने निराशाजनक प्रदर्शन किया वह है मणिपुर के ‘छोटा टायसन ’ के नाम से पहचाने जाने वाले सुरंजय सिंह 52किलो। सुरंजय भी विश्व प्रतियोगिता से ओलम्पिक के लिए क्वालीफाइ नहीं कर पाए इसके आलवा उसने इस साल ज्यादा प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया।

 विजेन्दर और सुरंजय ने भले निराश किया हो लेकिन विकास ने अपने शानदार प्रदर्शन से भारतीय मुक्केबाजी में झंडा बुलंद रखा है।  भारत के उभरते मुक्केबाजों में एक नाम शिव थापा 56किलों का भी आता है असम के इस मुक्केबाज ने सर्बिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी प्रतियोगिता में मौजूदा विश्व चैम्पियन को हरा कर न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता बल्कि अपने सुनहरे भविष्य की ओर भी संकेत दिया।  महिला मुक्केबाजी में भारत का प्रदर्शन बहुत ज्यादा अच्छा नहीं रहा। पांच बार की विश्व चैम्पियन एमसी मैरीकाम लंदन में आयोजित टेस्ट स्पर्धा के पहले दौर में हार कर बाहर हो गई।

Posted By: Inextlive