'गायब' नहीं, एसएसपी तक पहुंचा था सीओ का लेटर
- चौबेपुर थाने के पुलिसकर्मियों की विकास दुबे के साठगांठ को लेकर एसएसपी को लिखी गई तत्कालीन सीओ की चिट्ठी की जांच में बड़ा खुलासा
- तत्कालीन एसएसपी तक पहुंचने के बाद भी लेटर को दबा दिया गया, मामले की जांच करने पहुंची आईजी रेंज लखनऊ, कहा, बेहद खराब स्थिति -अपनी भूमिका को लेकर सवालों के घेरे में आने के बाद पूरे ऑपरेशन से किनारे किए गए डीआईजी एसटीएफ अनंत देव, लेकिन पद पर बने रहेंगेKANPUR : मुठभेड़ में सीओ सहित 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी भले ही कुख्यात विकास दुबे हो लेकिन अपनों की गद्दारी की भी बड़ी भूमिका रही। स्थानीय एसओ का तो विकास दुबे से याराना था ही, कई बड़े अधिकारी भी विकास पर मेहरबान थे। चौबेपुर एसओ की मेहरबानी को लेकर शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के लिखे पत्र पर आला अधिकारियों ने ध्यान दिया होता तो शायद 8 पुलिसकर्मियों की जान न जाती। पत्र के जरिए दी गई चेतावनी को नजरअंदाज करना ही इतने बड़े कांड का कारण बना।
ट्यूजडे को इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए लखनऊ रेंज की आईजी लक्ष्मी सिंह पहुंचीं। उन्होंने सीओ बिल्हौर ऑफिस जाकर जांच की। बाद में सर्किट हाउस पहुंचकर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। सूत्रों की मानें तो जांच में पता चला कि सीओ का लेटर सही है। उसे भेजा भी गया है और वह एसएसपी तक पहुंचा भी था। इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं लेने से तत्कालीन डीआईजी की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
ऑनलाइन भेजा लेटर कुख्यात विकास दुबे पर पुलिस अधिकारियों की अनुकंपा प्रकरण में एक आईपीएस अधिकारी का नाम सामने आने के बाद जिले के आला पुलिस अफसरों ने खुल कर तो कोई बात नहीं की, लेकिन जांच में पता चला कि यह पत्र जब भेजा गया उस वक्त तक कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन की तैयारियां हो रही थीं। ऐसे में पत्र को तय प्रक्रिया के हिसाब से न भेज कर व्हाट्सएप या ईमेल के जरिए भेजा गया। पत्र की फोटो शहीद सीओ के मोबाइल में थी। इसी को शेयर किया जा रहा है। इससे यह भी साफ है कि आला पुलिस अधिकारियों तक कुख्यात विकास दुबे के बचाव में तत्कालीन चौबेपुर एसओ की तरफदारी को नजरअंदाज किया गया। विकास दुबे के बड़ी घटना को अंजाम देने की चेतावनी पर भी ध्यान नहीं दिया गया। --------------- मतलब हालात थे खराबशहीद सीओ के पत्र की सत्यता और उसमें लिखी गई बातों की हकीकत जानने के लिए आई आईजी रेंज लखनऊ लक्ष्मी सिंह ने सीओ बिल्हौर ऑफिस पहुंचकर पत्र को लेकर जानकारी ली। यह भी पता लगाया गया कि ऐसी नौबत क्यों आई कि एक सीओ को अपने ही सर्किल के एसओ के खिलाफ इस तरह के संगीन आरोपों वाला पत्र भेजने की जरूरत पड़ी? इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पत्र मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ है कि हालात बेहद ख्ाराब थे।
------------ ऑपरेशन से किनारे हुए डीआईजी सूत्रों की माने तो इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद एसटीएफ में तैनात डीआईजी और कानपुर के तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी को ऑपरेशन विकास दुबे से किनारे कर दिया गया है। इस पूरे ऑपरेशन की कमान आईजी अमिताभ यश संभाल रहे हैं। हालांकि, इस दौरान डीआईजी अपने पद पर बने रहेंगे, लेकिन पूरे मामले से उन्हें दूर रखा गया है।