हैलट में 100 करोड़ से बनेगा मल्टीस्टोरी एसी ओपीडी ब्लॉक
कानपुर (ब्यूरो)। सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल की सुविधा के बाद अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट हॉस्पिटल में कानपुराइट्स को एक और बड़ा तोहफा मिलेगा। यहां लखनऊ के एसजीपीजीआई की तर्ज पर ओपीडी की सुविधा मिलेगी। हैलट कैम्पस में ही 100 करोड़ रुपए से मल्टीस्टोरी एसी ओपीडी ब्लॉक का निर्माण किया जाएगा। नए ब्लॉक में मौजूदा ओपीडी की क्षमता से चार गुना अधिक पेशेंट देखे जा सकेंगे। हर डिपार्टमेंट की विशेष ओपीडी
छह मंजिला ओपीडी बिल्डिंग में मेडिसिन, सर्जरी समेत विभिन्न डिपार्टमेंट की स्पेशल ओपीडी के लिए सब ब्लॉक रहेगा। जिसमें बीमारी से संबंधित क्लीनिक चलेगी। नई एसी बिल्डिंग में हर फ्लोर पर दो डिपार्टमेंट की ओपीडी चलाई जाएगी। जिससे फ्लोर में पेशेंट की अधिक भीड़ न हो। पेशेंट आसानी से बिना किसी समस्या के डॉक्टर्स को दिखा सकेंगे। इसके साथ ही ब्लॉक के अंदर जेनरिक मेडिसिन के स्टोर भी उपलब्ध होंगे। जहां पेशेंट डॉक्टर को दिखाने के बाद कम कीमत में मेडिसिन परचेज कर सकेंगे। चार गुना अधिक पेशेंट आ सकेंगे
हैलट में सभी विभागों को मिलाकर डेली ओपीडी की क्षमता 4 हजार पेशेंट की है। लेकिन वायरल बुखार या मौसमी बीमारियों के समय चार हजार पेशेंट से ज्यादा की भीड़ हो जाती है। जिसकी वजह से पेशेंट को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अव्यवस्था की स्थिति बन जाती है। समय कम होने पर सैकड़ों पेशेंट्स को बिना दिखाए ही लौटना पड़ता है या फिर इमरजेंसी में जाना पड़ता है। नया ओपीडी ब्लॉक बन जाने पर लगभग 16 हजार पेशेंट आ सकेंगे। नए ब्लॉक निर्माण को शासन की तरफ हरी झंडी मिल चुकी है। बजट मंजूर होते ही बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। बेसमेंट में होगी पार्किंग जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने बताया कि नए एसी ओपीडी ब्लॉक निर्माण को लेकर शासन से मंजूरी मिल चुकी है। बिल्डिंग के विभिन्न फ्लोर में जहां ओपीडी चलेंगी। वहीं बिल्डिंग के बेसमेंट में पेशेंट व डॉक्टर्स के वाहनों की पार्किंग बनाई जाएगी। वर्तमान में पुरानी ओपीडी में के बाहर सडक़ किनारे पेशेंट के वाहनों की पार्किंग कराई जाती है। नई बिल्डिंग के अंदर ही डायग्नोस्टिक एरिया भी रहेगा। जीटी रोड की तरफ बनेगा ओपीडी ब्लॉक जीटी रोड की तरफ बनना प्रस्तावित हुआ है। रिकार्ड सेक्शन की बिल्डिंग पुरानी हो गई है। जिसको गिराकर उसी स्थान पर नया ओपीडी ब्लॉक बनाया जाएगा। प्रिंसिपल के मुताबिक पुरानी ओपीडी के रूम कम है। नई ओपीडी ब्लॉक में टीचिंग चैंबर भी रहेगा। जिसमें मेडिकल स्टूडेंट्स को स्पेशल केस के बारे में पढ़ाया भी जा सकेगा।
एलईडी स्क्रीन में दिखेगा आपका नंबरनया ओपीडी एसी ब्लॉक पूरी तरह ई हॉस्पिटल से जुड़ा रहेगा। डायग्नोस्टिक सेंटर की जांच रिपोर्ट ऑनलाइन मिलेगी। डॉक्टर के चैंबर पर एलईडी डिस्प्ले बोर्ड भी लगा होगा। जिसमें पेशेंट का टोकन नंबर शो करेगा। पेशेंट टोकन नंबर लेकर आराम से अपनी बारी का इंतजार कर सकेंगे। उन्हें बार बार पूछना नहीं पड़ेगा कि कौन सा नंबर चल रहा है। इससे ट्रांसपैरेंसी भी रहेगी। नंबर आने पर आवाज लगाकर पेशेंट को नहीं बुलाना पड़ेगा। 80 परसेंट लोगों को ही दे पाते ट्रीटमेंट हैलट कानपुर ही नहीं आसपास के लगभग 15 से ज्यादा जिलों का सबसे बड़ा रेफरल सेंटर है। ऐसे बढ़ती आबादी और कानपुराइट्स की समस्या हो देखते हुए न्यू ओपीडी ब्लॉक बनाने का प्रस्ताव बनाया गया था। जिससे अधिक से अधिक पेशेंट को बेहतर ट्रीटमेंट मिल सके। वर्तमान में ओपीडी में हजारों की संख्या में पेशेंट डेली पहुंचते हैं लेकिन समय और डॉक्टर्स की कैपेसिटी के मुताबिक रजिस्ट्रेशन होने के बाद टोकन देना बंद कर दिए जाते हैं। ऐसे दूर दराज से आने वाले सैकड़ों पेशेंट्स का मायूस होकर लौटना पड़ता है और अगले दिन फिर आना पड़ता है। न्यू ओपीडी में ये समस्या भी खत्म हो जाएगी।
किस डिपार्टमेंट की डेली कितनी ओपीडी - 500 से अधिक पेशेंट डेली सर्जरी डिपार्टमेंट में आते - 1000 से अधिक पेशेंट डेली मेडिसिन डिपार्टमेंट में आते - 600 से अधिक पेशेंट न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में आते - 500 से अधिक पेशेंट न्यूरो मेडिसिन डिपार्टमेंट में आते - 400 से अधिक पेशेंट आर्थो डिपार्टमेंट में आते - 300 से अधिक पेशेंट पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की ओपीडी में आते - 200 से अधिक पेशेंट गेस्ट्रो व यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में आते - 400 से अधिक पेशेंट डेली ईएनटी डिपार्टमेंट की ओपीडी में आते
नए ब्लॉक से होंगे ये फायदे-पैथोलॉजी, एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की भी मिलेगी सुविधा -एलईडी में शो होगा रजिस्ट्रेशन नंबर, लाइन की जरूरत नहीं-क्षमता बढऩे से पेशेंट्स को बिना दिखाए नहीं लौटना पड़ेगा-ओपीडी के साथ जेनरिक मेडिसिन के स्टोर भी उपलब्ध होंगे- बेसमेंट में पेशेंट व डॉक्टर्स के वाहनों की बनेगी पार्किंग - टीचिंग चैंबर भी बनेगा, मेडिकल स्टूडेंट्स पढ़ेंगे स्पेशल केस