माल्टा में तलाक का क़ानून
ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति जॉर्ज अबेला इस पर अपनी मुहर लगा देंगे। अगर ऐसा हुआ तो यह क़ानून अक्तूबर महीने तक प्रभाव में आ जाएगा। इस समय माल्टा के नागरिकों को तलाक़ लेने के लिए दूसरे देश में जाना पड़ता है।
इस मामले में हुए जनमत संग्रह में 53 प्रतिशत मतदाताओं ने क़ानून के समर्थन में वोट डाला था जिसके बाद इस पर संसद में मतदान हुआ। संसद में हुए मतदान में 52 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट दिया जबकि 11 ने वोट नहीं डाला और एक सांसद अनुपस्थित रहे।समाचार एजेंसी एपी के माल्टा स्थित एक संवाददाता का कहना है कि संसद में यह वोटिंग ऐतिहासिक मानी जाएगी क्योंकि माल्टा में ज्यादातर क़ानून एक वोट से ही पारित होते हैं।'पारिवारिक ढाँचे को नुक़सान'सत्तारुढ़ नेशनलिस्ट पार्टी के 19 सांसदों ने पार्टी के आधिकारिक रुख का विरोध करते हुए विधेयक के पक्ष में वोट दिया। माल्टा के प्रधानमंत्री लारेंस गोंग्ज़ी इस विधेयक के विरोधियों में रहे हैं और उनका मानना है कि इससे परिवार के ढांचे को नुकसान होगा।
यूरोपीय संघ में माल्टा एकमात्र देश है जहां तलाक़ से जुड़ा क़ानून नहीं है। अब तक माल्टा में दंपती क़ानूनी रुप से सिर्फ़ अलग रहने के लिए अदालत या चर्च में अपील कर सकते थे और इस प्रक्रिया में नौ साल तक लग जाते थे।
इसके अलावा तीसरा विकल्प विदेश जाकर तलाक लेने का था। अगर विदेश में तलाक हो जाए तो फिर यह तलाक़ माल्टा में वैध माना जाता था। इस प्रायद्वीपीय देश की आबादी मात्र चार लाख दस हज़ार है जिसमें से 95 प्रतिशत लोग कैथोलिक हैं।