एक बात तो साबित हो गई कि कानपुराइट्स बड़े चटोरे हैैं स्ट्रीट फूड इनकी जुबान पर चढ़ चुका है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि फूड विभाग से दिए गए लाइसेंस की संख्या बता रही है. चाट-पकौड़ी से लेकर चाइनीज कॉन्टीनेंट्ल फूड बेचने वालों की शहर में बाढ़ आ गई है. शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला होगा जहां चौराहे-नुक्कड़ पर चाट का ठेला न लगा हो. फूड विभाग के आंकड़े बताते हैं कि शहर में ऐसी दुकानों की संख्या बढ़ रही है. दो साल पहले यानी 2021 में सिर्फ 730 लोगों ने खुदरा खानपान बेंचने का लाइसेंस ले रखा था. अब 2023 में यह संख्या 1658 से अधिक पहुंच गई है. फूड विभाग के आंकड़ों से इतर कहीं ज्यादा ऐसे चाट ठेलों की संख्या है जिन्होंने फूड लाइसेंस नहीं ले रखा है लेकिन लोग चटखारे लेकर वहां चाट का मजा ले रहे हैैं. चाट खुदरा खानपान के बाद मिठाई साउथ इंडियन और फिर चाइनीज डिश की बिक्री का नंबर आता है.


कानपुर (ब्यूरो) फूड विभाग के आंकड़े बताते हैं कि शहर में तमाम जगहों से स्ट्रीट फूड दुकानों को खोलने के लिए आवेदन आ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा फूड क्रायटेरिया में आवेदन किया जा रहा है। जिसमें रेस्टोरेंट, गोल गप्पा स्टॉल, चाट स्टॉल, फल/सब्जी, टी स्टॉल, स्नैक्स स्टॉल, ब्रेड पकोड़ा स्टॉल, समोसा स्टॉल, चाइनीज फूड जैसे अन्य खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। इनकी दुकानें फूलबाग, मॉलरोड, नौबस्ता, किदवई नगर, नवीन मार्केट, गुमटी नंबर-5, शास्त्री मार्केट, गोविंद नगर आदि जगहों के स्ट्रीट वेंडर्स शमिल है। इन आवेदनों में सबसे ज्यादा चाट-बताशा समेत रेस्टोरेंट के आवेदन है। 900 से अधिक खुली दुकाने


चाट की खूशबू लोगों की नाक तक पहुंचती है तो कानपुराइट्स अपने आपको रोक नहीं पाते हैं, सीधे दुकानों तक खींचे चले जाते हैं। फिर क्या, जब तक एक पत्ता चाट और गोलगप्पा नहीं खाते, वहां से वह आगे नहीं बढ़ते। चाट की दुकानों में अक्सर भीड़ लगी दिखाई देती है। यह नजारा अमूमन शहर की सभी चाट की दुकानों पर देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, कई मार्केटों में स्थित चाट की दुकानें इतनी मशहूर है कि फास्ट फूड को भी पीछे छोड़ दिया है। बढ़ते डिमांड ने दो साल में लगभग 928 से अधिक दुकानें खुल गई। औसतन इन छोटी-बड़ी चाट की दुकानों पर रोज लगभग डेढ़ लाख से अधिक चाट पत्ता और लाखों की संख्या में बताशा की खपत हो जाती है। 20 रुपए तो कहीं 60 रुपए चाट के स्वाद के दीवाने काफी हैं। शाम ढलते ही चटपटा खाने की तलब चढ़ती है, इसके लिए लोग क्या सस्ता क्या महंगा, कुछ भी नहीं देखते। सीधे खाने के लिए पहुंच जाते हैं। जब तक अपने मनमाफिक दुकान की चाट खा नहीं लेते तब तक वह आगे नहीं बढ़ते। यही वजह है कि शहर में चाट और बताशा की दुकानें दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैैं। इन दुकानों पर कहीं 20 रुपए तो कहीं 60 रुपए प्रति पत्ते की दर से चाट बिक रही हैं।दूर-दूर से चाट खाने आते

पिछले दो साल में लगातार चाट और बताशा के स्टॉल बढ़ रहे हैं। ऐसे में इन स्टॉल और दुकानों ने फास्ट फूड के कारोबार को भी पीछे छोड़ दिया है। चाऊमीन, बर्गर से अधिक लोगों का रूझान चाट बताशा और रेस्टोरेंट में तरह तरह के व्यंजन को खाने की ओर बढ़ गया है। दुकानों पर तो खाते ही हैं, साथ में पैक करा कर भी ले जाते हैं। कई तो ऐसे प्रेमी है जो नामचीन दुकानों पर खाने के लिए लंबी दूरी तय करके आते हैं। प्रिपेयर्ड लाइसेंस चाट बताशा----1658मिठाई-------1648चाइनीज फूड---1575साउथ इंडियन--1430बढ़ रहे लाइसेंस के आवेदनफूड परिसर स्टॉल, जूस की दुकानें, पैकेड भोजन, कचौरी पूड़ी स्टॉल, मिल्क वेंडर्स, डेयरी यूनिट्स, वनस्पति तेल इकाइयां, मांस की दुकानें, मटन की दुकानें, चिकन की दुकानें, फूड वैगन, फूड ट्रक, होटल, रेस्तरां, बार, फूड कैंटीन, कैफेटेरिया, बैंक्वेट हॉल आदि के लिए फूड लाइसेंस लिया जा रहा है।

क्या बोले लोग-कोट - फास्ट फूड अच्छा लगता है, लेकिन चाट बताशा मेरा सबसे ज्यादा फेवरिट है। मार्केट जाती हूं तो इसे जरूर खाती हूं। रागिनी दिवाकर - जब कभी फैमिली के साथ जाता हूं, तो अक्सर नवीन मार्केट में स्थित चाट की दुकान से चाट बताशे जरूर खाता हूं, राकेश सिंह भदौरिया - शस्त्री नगर समेत शहर में कई चाट बताशे की मशहूर दुकानें हैं, यहां जब भी जाता हूं, एक बार टेस्ट लेकर जरूर आता हूं।मोहम्मद काशिफ

Posted By: Inextlive