स्माल पॉक्स जैसा ही मंकीपॉक्स है क्योंकि इसका वायरस भी स्माल पॉक्स परिवार का है. अगर बुखार के साथ चकत्ते छाले और गांठे उभर आएं और छाले में एक-दो दिन में पानी जैसा भरने लगे तो खुद को अलग कर लें. तत्काल डॉक्टर को दिखाएं और जांच कराएं. यह जानकारी वेडनसडे को एलएलआर हॉस्पिटल के केपीएस पीजी इंस्टीटयूट ऑफ मेडिसिन के ऑडिटोरियम में मंकीपाक्स के खतरे इलाज एवं जांच को लेकर आयोजित सेमिनार में प्रो. एसके गौतम ने दी.


कानपुर (ब्यूरो) सेमिनार का शुभारंभ करते हुए प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने अस्पताल में मंकीपाक्स की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। वहीं, मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ। एससी गुप्ता ने मंकीपाक्स के लक्षण, बचाव एवं इलाज के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, ऐसे में लक्षण के आधार पर ही उसका इलाज किया जाता है। कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग की डॉ। तनु मिड्ढा ने महामारी के संक्रमण के प्रसार और बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

सैंपल लेने का तरीका
माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रो। विकास मिश्रा ने मंकीपॉक्स वायरस की जांच के लिए ब्लड और यूरिन का सैंपल लेने का तरीका बताया। बाल रोग के एचओडी प्रो। यशवंत राव ने बच्चों तो स्त्री एवं प्रसूति रोग की डा। दिव्या द्विवेदी ने गर्भवती में संक्रमण के लक्षण व इलाज के बारे में जानकारी दी। वाइस प्रिंसिपल प्रो। रिचा गिरि, एसआईसी्र प्रो। आरके मौर्या, डॉ। विशाल गुप्ता, डा। शुभ्रांशु शुक्ला, डा। रीता गुप्ता, डा। एनसी त्रिपाठी समेत सीनियर और जूनियर रेजीडेंट मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive